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[[अण्णा सालुंके]] ने इस फिल्म में दो भूमिका निभाई थी। उन्होंने पहले फालके के ''राजा हरिश्चन्द्र'' में [[रानी तारामती]] की भूमिका निभाई थी। चूंकि उस जमानेमे प्रदर्शनकारी कलाओं में भाग लेने से महिलाओं को निषिद्ध किया जाता था, पुरुष ही महिला पात्रों को निभाते थे। सालुंके ने इस फ़िल्म में [[राम]] के पुरुष चरित्र और साथ ही उनकी पत्नी [[सीता]] का महिला चरित्र भी निभाया है।<ref>{{cite web|url=http://www.dadasahebphalkeacademy.org.in/100years |title=Dadasaheb Phalke - Father of Indian Cinema |publisher=दादासाहेब फालके अकादमी |accessdate=४ अक्टूबर २०१२ |trans_title=दादासाहेब फालके - भारतीय सिनेमा के पिता |language=अंग्रेज़ी}}</ref> इस प्रकार उन्हें भारतीय सिनेमा में पहली बार दोहरी भूमिका निभाने का श्रेय दिया जाता है।<ref>{{cite book|url=https://books.google.com/books?id=TdM2Ben3alIC&pg=PA224&lpg=PA224&dq=lanka+dahan+1917&source=bl&ots=0-khVboi3i&sig=QwsSJUh-J46tbtXKaLT62YzqOCc&hl=en&sa=X&ei=d15tUOm7OIPSrQeDrYHABw&sqi=2&ved=0CD8Q6AEwAw#v=onepage&q=lanka%20dahan%201917&f=false |title=Wanted Cultured Ladies Only!: Female Stardom and Cinema in India, 1930s-1950s |publisher= [[इलिनॉय विश्वविद्यालय|इलिनॉय विश्वविद्यालय प्रेस]] |year=२००९ |isbn= 0252076281 |author=मजूमदार, निपा |page=२२४ |accessdate=९ मई २०१७ |trans_title=केवल सुसंस्कृत महिलाएं चाहिए!: १९३०-१९५० के दशक में भारत में महिला कलाकार और सिनेमा |language=अंग्रेज़ी}}</ref><ref name="सौ साल"/>
 
== संक्षिप्त विवरण ==
== संक्षेप ==
अयोध्या के राजकुमार राम को चौदह वर्ष की अवधि के लिए वनवास जाना पड़ा था। इस कारण उन्हें निर्वासित किया गया है। उनके साथ पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण भी जुड़ गए हैं। राक्षस राज रावण, जो सीता से विवाह करना चाहते थे, अब बदला लेने का फैसला करते है और उनका वन से अपहरण करते हैं। अपनी पत्नी की खोज के दौरान राम हनुमान से मिलते हैं। हनुमान, जो राम के एक महान भक्त हैं, सीता को खोजने का वादा करता हैं।