"आदर्शवाद": अवतरणों में अंतर

छो बॉट: वर्तनी एकरूपता।
Yo yo honey Singh
टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
पंक्ति 4:
कुछ विचारकों के अनुसार मुनष्य और अन्य प्राणियों में प्रमुख भेद यह है कि मनुष्य प्रत्ययों का प्रयोग कर सकता है और अन्य प्राणियों में यह क्षमता विद्यमान नहीं। कुत्ता दो मनुष्यों को देखता है, परंतु २ को उसने कभी नहीं देखा। प्रत्यय दो प्रकार के होते हैं- वैज्ञानिक और नैतिक। संख्या, गुण, मात्रा आदि वैज्ञानिक प्रत्ययों का अस्तित्व तो असंदिग्ध है, परंतु नैतिक प्रत्ययों का अस्तित्व विवाद का विषय बना रहा है। हम कहते हैं- 'आज मौसम बहुत अच्छा है'। यहाँ हम अच्छेपन का वर्णन करते हैं और इसके साथ अच्छाई के अधिक न्यून होने की ओर संकेत करते हैं। इसी प्रकार का भेद कर्मो के संबंध में भी किया जाता है। नैतिक प्रत्यय को आदर्श भी कहते हैं। आदर्श एक ऐसी स्थिति है, जो-
*(१) वर्तमान में विद्यमान नहीं,
*(२) वर्तमान स्थिति की अपेक्षा अधिकवधिक मूल्यवान् है,
*(३) अनुकरण करने के योग्य है, और
*(४) वास्तविक स्थिति का मूल्य जांचने के लिए मापक का काम देती है। आदर्श के प्रत्यय में मूल्य का प्रत्यय निहित है। मूल्य के अस्तित्व की बाबत हम क्या कह सकते हैं?