"रक्ताघात": अवतरणों में अंतर

No edit summary
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
पंक्ति 8:
 
रक्तमूर्च्छा का आक्रमण काल २-३ घंटे से लेकर कई दिनों तक रह सकता है और जितना ही रोगी के होश में आने में विलंब होता है उतनी ही साध्यासाध्यता की दृष्टि से घातक अवस्था समझी जाती है। पूर्ण घातक अवस्था में रोगी की पुतलियों की अभिक्रिया नष्टप्राय हे जाती है और यदि उपचार से ४२ घंटे में भी रोगी होश में न आया, तो अवस्था अत्यंत गंभीर समझी जाती है।
अक्सर ऐसा ज्यादा गर्मी या डर के कारण अथवा घबराहत के द्वारा उत्पन्न होते देखा गया है।
इस अवस्था में शरीर मे कम्पन्न होता है और आखो के सामने लाल पीला नजर आने लगता है ।
शरीर का तापमान धीरे -धीरे कम हो जाता है अथवा बेहद तीव्र हो जाता जिसके कारण मन मे बेचैनी सी होने लगती है और मनुष्य का मस्तिष्ककाम करना बंद कर देता है।
 
== उपचार ==