"आर्य प्रवास सिद्धान्त": अवतरणों में अंतर

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बाद में मैक्समुलर पर अनेक आरोपप्रत्यारोप उनके लेखों के कारण हुए। भारतीय राष्ट्रवादियों के अनुसार वे यह सब अंग्रेजों के कहे अनुसार कर रहे थे।
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'''It is the root of thir religion and to show them what the root is, I feel I sure it is the only way of uprooting all that have sprung from it during the last three thousand years.'''<ref>Life and letters of Fredrick maxmueller, Vol. 1 Chap. XV, Page 34</ref> (इसके जड़ को (नंगा) दिखा के ही सुनिश्चित किया जा सकता है कि इससे ३००० सालों में जो बनाउगा है वोउसे क्याकैसे हैउखाड़ें । )
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भारतीय सचिव के नाम १६ दिसम्बर १८६८ के दिवस का पत्र भी इस बात का समर्थन करता है।
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* किसी प्रयाण या आक्रमण का उल्लेख या यहाँ तक कि गाथा, संस्मरण आदि ना तो वेदों में और ना ही उपनिषद, आरण्यक, दर्शन-ग्रंथों या पुराणों में मिलता है । इसके उलट, रोमन गाथाओं में पूर्व की दिशा से हुए प्रयाण की याद और बाइबल में जोशुआ के पुस्तक में ऐसे छूटे हुए मातृभूमि की झलक मिलती है । यहूदी तालमुद में भी इसरायली लोगों को अपनी ज़मीन से असीरियाई शासको द्वारा बेदखल करने का उल्लेख है । अगर ऐसा कोई आक्रमण या यहाँ तक कि प्रयाण (प्रवास) भी होता तो वेदों-पुराणों-ब्राह्मण ग्रंथों-उपनिषदों-दर्शनों-बौद्ध ग्रंथों आदि में उसका उल्लेख मिलता, लेकिन वो नहीं है ।
* ऋगवेद में किसी राजा का या किसी शासक को किसी ख़ास दिशा या ज़मीन पर आक्रमण करने का कोई आदेश नहीं मिलता, ना ही अपने राज्य विस्तार का प्रोत्साहन भी ।
* भाषाई प्रमाण - भाषा की समरूपता के बारे में मिथक ये है कि संस्कृत और यूरोप (और ईरान) की भाषाओं में समानताएं हैं । हाँलांकि ये सच है कि कुछ शब्द एक जैसे हैं, लेकिन हज़रोंहज़ारों शब्दों में दूर -दूर तक कोई मेल नहीं । साथ ही व्याकरण में तो बहुत भिन्नता है, लेकिन भारत के अन्दर की भाषाओं में कई समानताए हैं । उदाहरण के लिए -
** सहायक क्रियाओं का वाक्य का अन्त में आना । है, रहा है, था, होगा, हुआ है ये सब हिन्दी की सहायक क्रियाएं हैं - इनके तमिळ, बांग्ला या कन्नड़ अनुवाद भी अपने वाक्यों के अन्त में आते हैं । लेकिन अंग्रेज़ी में am, was, were, has आदि मुख्यतः अपने वाक्यों के मध्य में आते हैं ।
** वाक्यों का विन्यास - संस्कृत सहित उत्तर और दक्षिण भारत की भाषाओं में वाक्य (कर्ता-कर्म-क्रिया) इस क्रम में होते हैं, यूरोपीय भाषाओं से बहुत अलग ।
** Prepositions: संस्कृत और उत्तर-दक्षिण की सभी भारतीय भाषाओं में वाक्यों में अव्यय संज्ञा के बाद आते हैं, लेकिन यूरोपीय भाषाओं में subjेect से पहले । जैसे अंग्रेज़ी में - From Home, On the table, Before Sunrise, लेकिन हिन्दी में ''घर से, टेबल पर, सूर्योदय से पहले'' आदि । ध्यान दीजिये कि अंग्रेज़ी में 'From' शब्द 'Home' से पहले आता है लेकिन हिन्दी में 'से', 'घर' के बाद, ऐसा उत्तर-से-दक्षिण तक भारत की सभी भाषाओं में है, लेकिन यूरोप की किसी भाषा में नहीं, फ़ारसी में भी नहीं । इस सिद्धांत के विरोधियों का तर्क है कि मिलते-जुलते शब्द व्यापार से आए होंगे । जैसे कि आधुनिक स्वाहिली (पूर्वी अफ़्रीका की भाषा) में कई शब्द अरबी से आए हैं, लेकिन भाषा एकदम अलग है । केनिया-तंज़ानिया के इन तटों पर अरब लोग बारहवीं सदी में आना शुरु हुए ।
 
 
== हानि ==