"मुत्तुस्वामी दीक्षित": अवतरणों में अंतर

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== मृत्यु ==
सन् १८३५ , दीपावली की अद्भुत , दिव्य व पावन वेला थी , मुत्तु स्वामि दीक्षितर् ने हर रोज की तरह जैसा पूजा-प्रार्थना किया व तत्पश्चात उन्होंने अपने विद्यार्थियों को "मीनाक्षी मे मुदम् देहि" गीत गाने के लिए कहा था। यह गीत पूर्वी कल्याणी राग मे रचा गया था। वे आगे भी कई गीत गाते रहे , जैसे ही उन्होंने "मीन लोचनि पाश मोचनि" गान शुरु किया तभी मुत्तु स्वामि ने अपने हाथों को उठाते हुए "शिवे पाहि" ( इसका अर्थ हे भगवान ! माफ़ करना मुझे ! ) कहकर दिवंगत हो गए। उसकिउनकी समाधि एट्टैय्यापुरम ( यह महाकवि सुब्रह्मण्यम भारति का जन्म स्थल भी है ) मे है । यह स्थल कोइल्पट्टी और टुटीकोरिन के पास है।<ref>Suresh Narayanan, "Carnatic Music" (2012), Part -1, p 18, Suvarnaragam Publications</ref>
 
== सन्दर्भ ==