"भारत की जलवायु": अवतरणों में अंतर
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भारत की जलवायु में काफ़ी क्षेत्रीय विविधता पायी जाती है और जलवायवीय तत्वों के वितरण पर भारत की [[कर्क रेखा]] पर अवस्थिति और यहाँ के स्थलरूपों का स्पष्ट प्रभाव दृष्टिगोचर होता है। इसमें [[हिमालय]] पर्वत और इसके उत्तर में तिब्बत के पठार की स्थिति, [[थार]] का मरुस्थल और भारत की [[हिन्द महासागर]] के उत्तरी शीर्ष पर अवस्थिति महत्वपूर्ण हैं। हिमालय श्रेणियाँ और [[हिंदुकुश]] मिलकर भारत और पाकिस्तान के क्षेत्रों की उत्तर से आने वाली ठंडी कटाबैटिक पवनों से रक्षा करते हैं। यही कारण है कि इन क्षेत्रों में कर्क रेखा के उत्तर स्थित भागों तक [[उष्णकटिबंधीय|उष्णकटिबंधीय जलवायु]] का विस्तार पाया जाता है। थार का मरुस्थल ग्रीष्म ऋतु में तप्त हो कर एक निम्न वायुदाब केन्द्र बनाता है जो [[मानसून|दक्षिण पश्चिमी मानसूनी]] हवाओं को आकृष्ट करता है और जिससे पूरे भारत में वर्षा होती
करने पर भारत में छह जलवायु प्रदेश परिलक्षित होते हैं। लेकिन यहाँ यह अवश्य ध्यान रखना चाहिये कि ये प्रदेश भी सामान्यीकरण ही हैं और छोटे और स्थानीय स्तर पर उच्चावच का प्रभाव काफ़ी भिन्न स्थानीय जलवायु की रचना कर सकता है।
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'''मौसम''' और '''जलवायु''' किसी स्थान की दिन-प्रतिदिन की वायुमंडलीय दशा को [[मौसम]] कहते हैं और मौसम के ही दीर्घकालिक औसत को [[जलवायु]] कहा जाता है। दूसरे शब्दों में मौसम अल्पकालिक वायुमंडलीय दशा को दर्शाता है और जलवायु दीर्घकालिक वायुमंडलीय दशा को दर्शाता है। मौसम व जलवायु दोनों के तत्व समान ही होते हैं, जैसे-[[तापमान]], [[वायुदाब]], [[आर्द्रता]] आदि। मौसम में परिवर्तन अल्पसमय में ही हो जाता है और जलवायु में परिवर्तन एक लंबे समय के दौरान होता है।
==तापमान==
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