"भारत का भूगोल": अवतरणों में अंतर

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भारत की भौगोलिक संरचना में लगभग सभी प्रकार के [[स्थलरूप]] पाए जाते हैं। एक ओर इसके उत्तर में विशाल [[हिमालय]] की पर्वतमालायें हैं तो दूसरी ओर और दक्षिण में विस्तृत [[हिंद महासागर]], एक ओर ऊँचा-नीचा और कटा-फटा [[दक्कन का पठार]] है तो वहीं विशाल और समतल [[सिन्धु-गंगा के मैदान|सिन्धु-गंगा-ब्रह्मपुत्र का मैदान]] भी, [[थार मरुस्थल|थार]] के विस्तृत मरुस्थल में जहाँ विविध मरुस्थलीय स्थलरुप पाए जाते हैं तो दूसरी ओर समुद्र तटीय भाग भी हैं। [[कर्क रेखा]] इसके लगभग बीच से गुजरती है और यहाँ लगभग हर प्रकार की जलवायु भी पायी जाती है। मिट्टी, वनस्पति और प्राकृतिक संसाधनो की दृष्टि से भी भारत में काफ़ी भौगोलिक विविधता है।
 
[[भारत के प्राकृतिक प्रदेश|प्राकृतिक विविधता]] ने यहाँ की [[प्रजातिय भूगोल|नृजातीय विविधता]] और जनसंख्या के असमान वितरण के साथ मिलकर इसे आर्थिक, सामजिक और सांस्कृतिक विविधता प्रदान की है। इन सबके बावजूद यहाँ की ऐतिहासिक-सांस्कृतिक एकता इसे एक [[राष्ट्र]] के रूप में परिभाषित करती है। हिमालय द्वारा उत्तर में सुरक्षित और लगभग ७ हज़ार किलोमीटर लम्बी समुद्री सीमा के साथ हिन्द महासागर के उत्तरी शीर्ष पर स्थित भारत का [[हिन्द महासागर की भूराजनीति|भू-राजनैतिक]] महत्व भी बहुत बढ़ जाता है और इसे एक प्रमुख क्षेत्रीय शक्ति के रूप में स्थापित करता है। आज का युग आधुनिक युग है।
 
== अवस्थिति एवं विस्तार ==