"जन्माष्टमी": अवतरणों में अंतर
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भृगु ने कहा है- जन्माष्टमी, रोहिणी और शिवरात्रि ये पूर्वविद्धा ही करनी चाहिए तथा तिथि एवं नक्षत्र के अन्त में पारणा करें। इसमें केवल रोहिणी उपवास भी सिद्ध है। अन्त्य की दोनों में परा ही लें।<ref>https://www.nathdwaratemple.org/News/Krishna_Janmashtami/2017-08-15 श्रीकृष्ण-जन्माष्टमी </ref>
आचार्य पं.रविकान्त चतुर्वेदी से जानिए भगवान के पूजा पाठ एवं व्रत-उपवास के बारे मे जानकारी ।
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