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== जीवनी ==
नारायण गुरु का जन्म दक्षिण [[केरल]]
उस परम तत्व को पाने के बाद नारायण गुरु [[अरुविप्पुरम]] आ गये थे। उस समय वहां घना जंगल था। वह कुछ दिनों वहीं जंगल में एकांतवास में रहे। एक दिन एक गढ़रिये ने उन्हें देखा। उसीने बाद में लोगों को नारायण गुरु के बारे में बताया। परमेश्वरन पिल्लै उसका नाम था। वही उनका पहला शिष्य भी बना। धीरे-धीरे नारायण गुरु सिद्ध पुरुष के रूप में प्रसिद्ध होने लगे। लोग उनसे आशीर्वादके लिए आने लगे। तभी गुरुजी को एक मंदिर बनाने का विचार आया। नारायण गुरु एक ऐसा मंदिर बनाना चाहते थे, जिसमें किसी किस्म का कोई भेदभाव न हो। न धर्म का, न जाति का और न ही आदमी और औरत का।
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