"जनमेजय": अवतरणों में अंतर

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'''जनमेजय''' [[महाभारत]] के अनुसार [[कुरुवंश]] का राजा था। [[महाभारत]] युद्ध में अर्जुनपुत्र [[अभिमन्यु]] जिस समय मारा गया, उसकी पत्नी [[उत्तरा]] गर्भवती थी। उसके गर्भ से राजा [[परीक्षित]] का जन्म हुआ जो [[महाभारत]] युद्ध के बाद [[हस्तिनापुर]] की गद्दी पर बैठा। जनमेजय इसी [[परीक्षित]] तथा मद्रावती का पुत्र था। महाभारत के अनुसार (१.९५.८५) मद्रावती उनकी जननी थीं, किन्तु [[श्रीमद्भागवत|भगवत् पुराण]] के अनुसार (१.१६.२), उनकी माता ईरावती थीं, जो कि [[उत्तर (महाभारत)|उत्तर]] की पुत्री थीं।<ref> {{cite book|last = Raychaudhuri| first = H.C.| title = ''Political History of Ancient India: From the Accession of Parikshit to the Extinction of the Gupta Dynasty''|publisher = University of Calcutta| date = 1972| accessdate = 2012-05-10|isbn =| pp.15,35n}}</ref>
== महाभारत. के संदर्भ में ==
[[चित्र:00005 Janamejaya and brothers.jpg|right|thumb|400px| जनमेजय और उनके भाई]]
महाभारत में जनमेजय के छः और भाई बताये गये हैं। यह भाई हैं कक्षसेन, उग्रसेन, चित्रसेन, इन्द्रसेन, सुषेण तथा नख्यसेन।<ref>{{cite journal|title =Journal of the Department of Letters|editor= University of Calcutta (Dept. of Letters)|Publisher =Calcutta University Press|date= 1923|accessdate=2012-05-10|isbn =| p2}}</ref> महाकाव्य के आरम्भ के पर्वों में जनमेजय की [[तक्षशिला]] तथा सर्पराज [[तक्षक]] के ऊपर विजय के प्रसंग हैं। सम्राट जनमेजय अपने पिता परीक्षित की मृत्यु के पश्चात् [[हस्तिनापुर]] की राजगद्दी पर विराजमान हुये। पौराणिक कथा के अनुसार परीक्षित पाण्डु के एकमात्र वंशज थे। उनको शमीक ऋषि ने शाप दिया था कि वह सर्पदंश से मृत्यु को प्राप्त होंगे। ऐसा ही हुआ और सर्पराज तक्षक के ही कारण यह सम्भव हुआ। जनमेजय इस प्रकरण से बहुत आहत हुये। उन्होंने सारे सर्पवंश का समूल नाश करने का निश्चय किया। इसी उद्देश्य से उन्होंने '''सर्प सत्र''' या '''सर्प यज्ञ''' के आयोजन का निश्चय किया। यह यज्ञ इतना भयंकर था कि विश्व के सारे सर्पों का महाविनाश होने लगा। उस समय एक बाल ऋषि [[अस्तिक]] उस यज्ञ परिसर में आये। उनकी माता [[मानसा]] एक नाग थीं तथा उनके पिता एक [[ब्राह्मण]] थे।<br />