"सनाढ्य ब्राह्मण": अवतरणों में अंतर
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सनाढ्य का शाब्दिक अर्थ दो शब्दों से मिलकर बना है,सन्+आढय जिसका अर्थ सन् अर्थात तप और आढ्य अर्थात ब्रम्हा । ब्रम्हा के तप से उत्पन्न ब्राम्हण और तपस्या में रत रहने बाले अर्थात तपस्वी।
सर्व ब्राह्मणों के 752 गोत्रो में केवल 700 गोत्र सनाढ्य ब्राह्मणों के
[[श्रेणी:ब्राह्मण]]
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