"वियोगी हरि": अवतरणों में अंतर
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वियोगी हरि ने लगभग 40 पुस्तकें रची हैं। इनके मुख्य रचनाएँ हैं-
'भावना, 'प्रार्थना, 'प्रेम-शतक, आधुनिक युग, साहित्य विहार, वीर सतसई, प्रेम पथिक, वीणा, प्रेमांजलि, प्रेमशतक, तरंगिणी, अन्तर्नाद, पगली, प्रार्थना, छद्मयोगिनी, वीर हरदौल, मेरा जीवन प्रवाह, मंदिर प्रवेश, मेवाड़ केसरी, बुद्ध वाणी,
== भाषा एवं शैली ==
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