"ब्रज संस्कृति": अवतरणों में अंतर

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== संदर्भ ==
* [http://bharatdiscovery.org/india/%E0%A4%AC%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%9C_%E0%A4%8F%E0%A4%95_%E0%A4%85%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E2%80%8C%E0%A4%AD%E0%A5%81%E0%A4%A4_%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%95%E0%A5%83%E0%A4%A4%E0%A4%BF_-%E0%A4%86%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%AF_%E0%A4%9A%E0%A5%8C%E0%A4%A7%E0%A4%B0%E0%A5%80 ब्रज की संस्कृति के बारे में, भारतकोश पर]
1. ↑ महाभारत आदिपर्व 221
2.↑ वराह पुराण 152 | 8 एवं 11
3.↑ पद्म पुराण 4 | 69 | 12
4.↑ हरिवंश पुराण, विष्णुपर्व, 57 | 2-3
5.↑ तस्मान्माथुरक नाम विष्णोरेकान्तवल्लभम्। पद्म पुराण 4 | 69 | 12
मध्यदेशस्य ककुदं धाम लक्ष्म्याश्च केवलम्।
श्रृंगं पृथिव्या: स्वालक्ष्यं प्रभूतधनधान्यवत्॥ हरिवंश पुराण, विष्णुपर्व, 57 | 2-3
5.↑ अंगुत्तरनिकाय 1 | 167, एकं समयं आयस्मा महाकच्छानो मधुरायं विहरति गुन्दावने [
6.↑ मज्झिम 2 | 84
7.↑ मथुरा का निवासी, या वहाँ उत्पन्न हुआ या मथुरा से आया हुआ
8.↑ पाणिनि, 4 | 2 | 82
9.↑ पाणिनि 4 | 3 | 98
10.↑ 3 | 1 | 138 एवं वार्तिक 'गविच विन्दे: संज्ञायाम्'
11.↑ बाल्मीकि रामायाण,किष्किन्धाकाण्ड़,त्रिचत्वारिंशः सर्गः।
तत्र म्लेच्छान् पुलिन्दांश्र्च शूरसेनां स्तथैव च।
प्रस्थलान् भरतांश्र्चैव कुरुंश्र्च सह मद्रकैः॥
काम्बोजयवनांश्र्चैव शकानां पत्तनानि च।
12.↑ यह पुस्तक, लेखक की वेबसाइट, www.brajdiscovery.org पर उपलब्ध है।
13.↑ गोथिक शैली से अभिप्राय तिकोने मेहराबों वाली यूरोपीय शैली से है जिससे इमारत के विशाल होने का आभास होता है
14.↑ ट्रॅवल्स इन इंडिया लेखक: ज़्यां-बॅपतिस्ते तॅवरनियर अध्याय 12 पृष्ठ 272