"मुहम्मद बिन तुग़लक़": अवतरणों में अंतर

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== दिल्ली सल्तनत ==
मुहम्मद तुग़लक़ के सिंहासन पर बैठते समय दिल्ली सल्तनत कुल 23 प्रांतों में बँटा थी, जिनमें मुख्य थे - दिल्ली, देवगिरि, लाहौर, मुल्तान, सरमुती, गुजरात, अवध, कन्नौज, लखनौती, बिहार, मालवा, जाजनगर (उड़ीसा), द्वारसमुद्र आदि। कश्मीर एवं बलूचिस्तान भी दिल्ली सल्तनत में शामिल थे। दिल्ली सल्तनत की सीमा का सर्वाधिक विस्तार इसी के शासनकाल में हुआ था। परन्तु इसकी क्रूर नीति के कारण राज्य में विद्रोह आरम्भ हो गया। जिसके फलस्वरूप दक्षिण में नए स्वतंत्र राज्य की स्थापना हुई और ये क्षेत्र दिल्ली सल्तनत से अलग हो गए। बंगाल भी स्वतंत्र हो गया। राज्यारोहण के बाद मुहम्मद तुग़लक़ ने कुछ नवीन योजनाओं का निर्माण कर उन्हें क्रियान्वित करने का प्रयत्न किया। जैसे -
* दोआब क्षेत्र में कर वृद्धि (१३२६-२७ ई॰)
* राजधानी परिवर्तन (१३२६-२७ ई॰)
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== महत्त्वपूर्ण विद्रोह ==
मुहम्मद बिन तुग़लक़ के शासन काल में सबसे अधिक (३४) विद्रोह हुए, जिनमें से 27 विद्रोह अकेले दक्षिण भारत में ही हुए। सुल्तान मुहम्मद तुग़लक़ के शासन काल में हुए कुछ महत्त्वपूर्ण विद्रोहों का सारांश निम्नलिखित हैं-
प्रथम विद्रोह १३२७ ई. में तुग़लक़ के चचेरे भाई सुल्तान गुरशास्प ने किया, जो गुलबर्ग के निकट सागर का सूबेदार था। वह सुल्तान द्वारा बुरी तरह से पराजित किया गया। मुहम्मद तुग़लक़ के विरुद्ध सिंध तथा मुल्तान के सूबेदार बहराम आईबा ऊर्फ किश्लू ख़ाँ ने १३२७-१३२८ ई. में विद्रोह किया। सैयद जलालुद्दीन हसनशाह का मालाबार विद्रोह १३३४-१३३५ ई. में किया गया। बंगाल का विद्रोह (1330-1331 ई.) प्रमुख हैं। बंगाल के विद्रोह को यद्यपि प्रारंभ में दबा लिया गया था, किन्तु 1340-1341 ई. के लगभग शम्सुद्दीन के नेतृत्व में बंगाल दिल्ली सल्तनत से अलग हो गया। १३३७-१३३८ ई. में कड़ा के सूबेदार निज़ाम भाई का विद्रोह, १३३८-१३३९ ई. में बीदर के सूबेदार, नुसरत ख़ाँ का विद्रोह, १३३९-१३४० ई. में गुलबर्ग के अलीशाह का विद्रोह आदि भी मुहम्मद तुग़लक़ के विरुद्ध किये गये विद्रोहों में प्रमुख हैं। इस तरह के विद्रोहों का सुल्तान ने सफलतापूर्वक दमन किया। मुहम्मद तुग़लक़ के शासनकाल में ही दक्षिण में १३३६ ई. में 'हरिहर' एवं 'बुक्का' नामक दो भाईयों ने स्वतंत्र ‘विजयनगर’ की स्थापना की। अफ़्रीकी यात्री इब्न बतूता को 1333 ई. में मुहम्मद ने अपने राजदूत के रूप में चीन भेजा। इब्न बतूता ने अपनी पुस्तक ‘रेहला’ में मुहम्मद तुग़लक़ के समय की घटनाओं का वर्णन किया है। मुहम्मद तुग़लक़ धार्मिक रूप में सहिष्णु था। जैन विद्वान एवं संत 'जिनप्रभु सूरी' को दरबार में बुलाकर सम्मान प्रदान किया। मुहम्मद बिन तुग़लक़ दिल्ली सल्तनत का प्रथम सुल्तान था, जिसने हिन्दू त्योहरों (होली, दीपावली) में भाग लिया। दिल्ली के प्रसिद्ध सूफ़ी शेख़ 'शिहाबुद्दीन' को 'दीवान-ए-मुस्तखराज' नियुक्त किया तथा शेख़ 'मुईजुद्दीन' को गुजरात का गर्वनर तथा 'सैय्यद कलामुद्दीन अमीर किरमानी' को सेना में नियुक्त किया। शेख़ 'निज़ामुद्दीन चिराग-ए-दिल्ली' सुल्तान के विरोधियों में एक थे। मुहमद तुगलक के शासन काल में भारत पर आक्रमण करने वाला ट्रांसआक्सियाना आक्रान्ता कौन था ?
 
== मृत्यु ==