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झुंझनु इतिहास
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[[चित्र:Jujhar Singh Nehra8.JPG|thumb|भारत के राजस्थान प्रान्त में झुन्झुनू नगर के संस्थापक [[जुझारसिंह नेहरा]] की मूर्ती]]
'''झुन्झुनू''' [[राजस्थान]] प्रात में एक [[शहर]] और जिला है।
'''झुन्झुनू''' [[राजस्थान]] प्रात में एक [[शहर]] और जिला है। यह शहर [[जुझारसिंह नेहरा]] के नाम पर सन् 1730 में बसाया गया था। यहां की हवेलियां और उनपर की गई फ्रेस्कोपेंटिंग प्रसिद्ध है। नेहरा लोगों के प्रसिद्द सरदार जुझारसिंह नेहरा का जन्म संवत १७२१ विक्रमी श्रावण महीने में हुआ था। उनके पिता नवाब के यहाँ फौज के सरदार यानि फौजदार थे। युवा होने पर सरदार जुझार सिंह नवाब की सेना में जनरल बन गए। उनके दिल में यह बात पैदा हो गयी कि भारत में जाट साम्राज्य स्थापित हो. जुझार सिंह ने पंजाब, भरतपुर, ब्रज के जाट राजाओं और गोकुला के बलिदान की चर्चा सुन रखी थी। उनकी हार्दिक इच्छा थी कि नवाबशाही के खिलाफ जाट लोग मिल कर बगावत करें.
 
इतिहासकारों के अनुसार झुंझुनू को कब और किसने बसाया, इसका स्पष्ट विवरण नही मिलता है| उनके अनुसार पांचवी-छठी शताब्दी में गुर्जर कल में झुंझुनू बसाया गया था| आठवीं शताब्दी में चौहान शासकों के कल का अध्ययन करते हैं तो उसमे झुंझुनू के अस्तित्व का उल्लेख मिलता है| डॉ. दशरथ शर्मा ने तेहरवी शताब्दी के कस्बों की जो सूची दी है उसमे झुंझुनू का भी नाम है| इसी प्रकार अनंत और वागड राज्यों के उल्लेख में भी झुंझुनू का अस्तित्व कायम था|
उन्हीं दिनों सरदार जुझार सिंह की मुलाकात एक राजपूत से हुई. वह किसी रिश्ते के जरिये नवाब के यहाँ नौकर हो गया। उसका नाम शार्दुल सिंह था। दोनों का सौदा तय हो गया। शार्दुल सिंह ने वचन दिया कि इधर से नवाबशाही के नष्ट करने पर हम तुम्हें (सरदार जुझार सिंह को) अपना सरदार मान लेंगे. अवसर पाकर सरदार जुझार सिंह ने झुंझुनू और नरहड़ के नवाबों को परास्त कर दिया और बाकि मुसलमानों को भगा दिया.
 
सुलतान फिरोज़ तुगलक (ई. सन १३३८-१३५१) के बाद कायमखानी वंशज आये| कहते हैं, कायम खान के बेटे मुहम्मद खान ने झुंझुनू में अपना राज्य कायम किया, इसके बाद लगातार यह क्षेत्र कयामखानियों के अधिपत्य में रहा| एक उल्लेख यह भी मिलता है की सन १४५१-१४८८ के बीच झुन्झा नमक जाट ने झुंझुनू को बसाया|
कुंवर पन्ने सिंह द्वारा लिखित 'रणकेसरी जुझार सिंह' नमक पुस्तक में अंकित है कि सरदार जुझार सिंह को दरबार करके सरदार बनाया गया। सरदार जुझार सिंह का तिलक करने के बाद एकांत में पाकर विश्वास घात कर शेखावतों ने सरदार जुझार सिंह को धोखे से मार डाला. इस घृणित कृत्य का समाचार ज्यों ही नगर में फैला हाहाकार मच गया। जाट सेनाएं बिगड़ गयी। फिर भी कुछ लोग विपक्षियों द्वारा मिला लिए गए। कहा जाता है कि उस समय चारण ने शार्दुल सिंह के पास आकर कहा था -
 
झुंझुनू का अन्तिम नवाब रुहेल खान जो आस-पास के अपने ही वंश के नवाबों से प्रताड़ित था| ऐसे में शार्दूल सिंह शेखावत को यहाँ बुला लिया| रुहेल खान की मृत्यु के बाद विक्रम सम्वत १७८७ में झुंझुनू पर शेखावत राजपूतों का अधिपत्य हो गया जो जागीर अधिग्रहण तक चलता रहा|
सादे लीन्हो झूंझणूं, लीनो अमर पटै
बेटे पोते पड़ौते, पीढी सात लटै
अर्थात - सादुल्लेखान से इस राज्य को झून्झा (जुझार सिंह) ने लिया था, वह तो अमर हो गया। अब इसमें तेरे वंशज सात पीढी तक राज करेंगे.
 
शार्दूल सिंह के निधन के बाद उसके पञ्च पुत्रों जोरावर सिंह, किशन सिंह, अक्षय सिंह, नवल सिंह और केशरी सिंह के बीच झुंझुनू ठिकाने का विभाजन हुआ| यही पंच्पना कहलाया| इतिहासकारों के अनुसार जोरावर सिंह व् उनके वंशजो के अधीन चौकड़ी, मलसीसर, मंडरेला, डाबडी, चानना, सुल्ताना, ओजटू, बगड़, टाई, गांगियासर, कलि पहाड़ी आदि का शासन था, जबकि किशन सिंह और उनके वंशज खेतड़ी , अलसीसर, हीरवा, अडूका, बदनगढ, सीगडा,तोगडा, बलरिया आदि के शासक रहे| नवल सिंह और उनके वंशजों के अधीन नवलगढ़, मंडवा, महनसर, मुकुंदगढ़, इस्माईलपुर, परसरामपुरा, कोलिंदा आदि की शासन व्यवस्था थी| जबकि केशरी सिंह व् उनके वंशजों का बिसाऊ, सुरजगढ और डन्डलोद में शासन रहा|  अक्षय सिंह चूँकि नि:संतान थे, अत: उनका हिस्सा अन्य भाइयों को दे दिया गया|
जुझार अपनी जाती के लिए शहीद हो गया। वह संसार में नहीं रहे, किन्तु उनकी कीर्ति आज तक गाई जाती है। झुंझुनू शहर का नाम जुझार सिंह के नाम पर झुन्झुनू पड़ा है।
 
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अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ झुंझुनू जिले में व्याप्त जनाक्रोध कई आंदोलनों के रूप में सामने आया| स्वतंत्रता सैनानी सावलराम के अनुसार इस जनपद में आर्य समाज आन्दोलन, जकात आन्दोलन, जागीरदारों के खिलाफ आन्दोलन प्रजा मंडल आन्दोलन और अंग्रेजों के विरुद्ध आन्दोलन चले जो कमोबेश एक दुसरे के पूरक थे|
 
इतिहासकार मोहन सिंह लिखते हैं की जयपुर राज्य की सबसे बड़ी निजामत शेखावाटी थी जिसमा वर्तमान झुंझुनू और सीकर जिले की सम्पूर्ण सीमाएं थी| शेखावाटी निजामत का कार्यालय झुंझुनू में था| सन १८३४ में झुंझुनू एसा मजोर हेनरी फोस्टर ने एक जगह फौज का गठन किया था जिसका नाम शेखावाटी ब्रिगेड रखा गया| झुंझुनू में जिस जगह यह फौज रहती थी वह इलाका आज भी छावनी बाज़ार और छावनी मोहल्ला कहलाता हैं|{{stub}}
 
[[श्रेणी:राजस्थान के शहर]]