"मयासुर": अवतरणों में अंतर

→‎रामायण में: मायासुर चंदोक ग्राम बाला उत्तर प्रदेश का था और बिजनौर रावण का दण्ड देने का स्थान था
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'''मय''' या '''मयासुर''', कश्यप और दुन का पुत्र, नमुचि का भाई, एक प्रसिद्ध दानव। यह [[ज्योतिष]] तथा [[वास्तुशास्त्र]] का आचार्य था। मय ने दैत्यराज वृषपर्वन् के [[यज्ञ]] के अवसर पर बिंदुसरोवर के निकट एक विलक्षण सभागृह का निर्माण कर अपने अद्भुत [[शिल्पशास्त्र]] के ज्ञान का परिचय दिया था।
 
इसकी दो पत्नियाँ - हेमा और रंभा थीं जिनसे पाँच पुत्र तथा तीन कन्याएँ हुईं। जब [[शंकर]] ने त्रिपुरों को भस्म कर असुरों का नाश कर दिया तब मयासुर ने अमृतकुंड बनाकर सभी को जीवित कर दिया था किंतु [[विष्णु]] ने उसके इस प्रयास को विफल कर दिया। [[ब्रह्मपुराण]] (124) के अनुसार [[इंद्र]] द्वारा [[नमुचि]] का वध होने पर इसने इंद्र को पराजित करने के लिये तपस्या द्वारा अनेक माया विद्याएँ प्राप्त कर लीं। भयग्रस्त इंद्र ब्राह्मण वेश बनाकर उसके पास गए और छलपूर्वक मैत्री के लिये उन्होंने अनुरोध किया तथा असली रूप प्रकट कर दिया। इसपर मय ने अभयदान देकर उन्हें माया विद्याओं की शिक्षा दी। मायासुर चंदोक ग्राम का था और बिजनौर रावण का दण्ड देने का स्थान था 
 
== रामायण में==