"गोपीनाथ कविराज": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:Gopinath Kaviraj.jpg|right|thumb|300px|महामहोपाध्याय श्री गोपीनाथ कविराज]]
'''महामहोपाध्याय श्री गोपीनाथ कविराज''' (७ सितम्बर 1887 - १२ जून 1976) [[संस्कृत]] के विद्वान और महान [[दार्शनिक]] थे। १९१४ में पुतकालयाक्ष्यक्ष से आरम्भ करते हुए वे १९२३ से १९३७ तक [[वाराणसी]] के शासकीय संस्कृत महाविद्यालय के प्रधानाचार्य रहे। इस कालावधि में वे [[सरस्वती भवन ग्रन्थमाला]] के सम्पादक भी रहे।
गोपीनाथ कविराज [[बंगाल|बंगाली]] थे और इनके पिताजी का नाम वैकुण्ठनाथ बागची था। आप का जन्म ब्रिटिश भारत के ग्राम धमरई जिला [[ढाका]] (अब [[बांग्लादेश]]) मे हुआ था। उनका जन्म प्रतिष्ठित बागची घराने मे हुआ था और "कविराज" उनको सम्मान में कहा जाता था। आपने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा दीक्षा श्री मधुसूदन ओझा एवं शशिधर "तर्क चूड़ामणि" के निर्देशन मे [[जयपुर]] मे प्रारंभ किया।
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उन्नीसवीं शती के धार्मिक पुनर्जागरण और बीसवीं शती के स्वातन्त्र्य-आन्दोलन से अनुप्राणित उनकी जीवन-गाथा में युगचेतना साकार हो उठी है। प्राचीनता के सम्पोषक एवं नवीनता के पुरस्कर्ता के रूप में कविराज महोदय का विराट् व्यक्तित्व संधिकाल की उन सम्पूर्ण विशेषताओं से समन्वित है, जिनसे जातीय-जीवन प्रगति-पथ पर अग्रसर होने का सम्बल प्राप्त करता रहा है।
इनके द्वारा रचित एक [[शोध]] [[तांत्रिक वाङ्मय में शाक्त दृष्टि ]] के लिये उन्हें सन् १९६४ में [[साहित्य अकादमी पुरस्कार]] ([[साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत|संस्कृत]]) से सम्मानित किया गया।<ref name="academy">{{cite web | url=http://sahitya-akademi.gov.in/sahitya-akademi/awards/akademi%20samman_suchi_h.jsp#hindi | title=अकादेमी पुरस्कार | publisher=साहित्य अकादमी | accessdate=4 सितंबर 2016}}</ref>
== ग्रन्थ ==
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[[श्रेणी:१९७६ में निधन]]
[[श्रेणी:साहित्य अकादमी फ़ैलोशिप से सम्मानित]]
[[श्रेणी:साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत संस्कृत भाषा के साहित्यकार]]
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