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हिंदी दिवस 14 सितम्बर-2017- निबंध प्रतियोगिता
विषय:- स्वयं-सहायता समूह महत्त्व एवं उपयोगिता
भूमिका:- भारत एक कृषि प्रधान देश है और यहाँ कि लगभग 70% से अधिक की आबादी कृषि कार्य में लगी हुई रहती है | कृषि कार्य में कृषकों एवं उनके साथ कार्यरत महिलाओं को वर्ष भर रोजगार नही मिल पाता है |कृषि पर निर्भरता एवं उसमे व्याप्त अदृश्य बेरोजगारी को दूर करने के उद्देश्य से नाबार्ड द्वारा वर्ष 1992-93 में स्वयं सहायता समूह(SHG) की अवधारणा प्रस्तुत की जिसके व्यापक प्रचार प्रसार एवं उसके महत्व को देखते हुए RBI द्वारा इसे प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को दिये जाने वाले अग्रिम के रूप में वर्ष 1995-96 में परिपत्रित किया |
स्वयं सहायता समूह क्या है:- स्वयं सहायता समूह (एसएचजी), आपस में अपनापन रखने वाले एक जैसे सूक्ष्म उद्यमियों का ऐसा समूह है जो अपनी आय से सुविधाजनक तरीके से बचत करने और उसको समूह के सम्मिलित फंड में शामिल करने और उसे समूह के सदस्यों को उनकी उत्पादक और उपभोग जरूरतों के लिये समूह द्वारा तय ब्याज, अवधि और अन्य शर्तों पर दिये जाने के लिये आपस में सहमत होते हैं | एक आदर्श स्वयं सहायता समूह में सदस्यों की संख्या 10 से 20 के बीच होनी चाहिये |
स्वयं सहायता समूह के उदेश्य एवं कार्य:- कोई भी समूह या समिति अपने एक निश्चित उद्देश्य की पूर्ति के लिए बनाये जाते है एवं उन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए कुछ अंतर्नियम समूह द्वारा आपसी सलाह के पश्चात एक नियमावली के रूप में बनाये जाते है | प्रमुख तौर स्वयं सहायता समूह के निम्न उद्देश्य होते है:-
1. ग्रामीण क्षेत्रों में बचत की आदत को बढ़ावा देना |
2. सामूहिक प्रयास के माध्यम से आत्मनिर्भर बनना |
3. अपने कुछ कार्य जैसे- शिक्षा,स्वच्छता एवं सामाजिक कुरीतियों के निर्मूलन के हेतु सकारात्कमक प्रयास करना |
4. बैंकरों और ग्रामीण जनता के बीच आपसी विश्वास का वातावरण बनाना |
5. वित्तीय संस्थाएं समाज के जिन वर्गों तक नहीं पहुंच पाती हैं समाज के उन वर्गों में बचत की आदत और ऋण की सुविधा के प्रयोग को प्रोत्साहित करना |
6. अपनी सामूहिक बचत को सुरक्षित रखने हेतु बैंक खाता खोलवाना |
7. प्रत्येक माह समूह की आपसी बैठक आयोजित करना एवं समूह द्वारा किये जा रहे कार्यों की समीक्षा करना |
8. स्व-रोजगार की आदत को बढ़ावा देने एवं अर्थोपार्जन के उद्देश्य से बैंक से वित्तीय सहायता प्राप्त करना |
स्वयं सहायता समूह का महत्व एवं उपयोगिता:- स्वयं सहायता समूह के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही है | सामान्य तौर पर स्वयं सहायता समूह का महत्व एवं उपयोगिता को हम निम्न प्रकार से व्यक्त कर सकते है:-
1. SHG के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में सूक्ष्म बचत की आदत को बढ़ावा मिला है जिससे ग्रामीण जनताओं के बीच बैंक संपर्क भी बढ़ा है |
2. समूह के द्वारा बैंक लिंकेज कार्यक्रम से जुड़ने पर ग्रामीण क्षेत्रों में कुटीर एवं लघु उद्योग स्थापित हुए है जिससे रोजगार में वृद्धि हुई है|
3. स्वयं सहायता समूह की स्थापना के बाद ग्रामीण जनता को साहूकारों एवं दलाल के चंगुल से मुक्ति मिली है |
4. सामूहिक नेतृत्व के माध्यम से आपसी मतभेदों का समाधान आसानी से किया जाता है |
उपसंहार:- अपने उपरोक्त विवरण के आधार पर हम इस निष्कर्ष पर पहुचते है कि भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी बैंकों की सुदूर-दुरांचल तक पहुँच नही होने के कारण,लोगो द्वारा आपसी बचत और सामूहिक आवश्कताओं की पूर्ति के लिए स्वयं सहायता समूह की स्थापना एक क्रांतिकारी कदम है जो ग्रामीण महिलाओं/पुरुषों के आत्मनिर्भरता का मार्ग प्रशस्त करता है | बैंक लिंकेज कार्यक्रम के माध्यम से बैंक द्वारा स्वयं सहायता समूह को उनकी आवश्कता अनुसार ऋण वितरित किया जाता है जिससे समूह द्वारा स्वरोजगार संबंधी कार्य किये जाते है | हमारे छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक द्वारा गत वर्ष 8000 से अधिक SHG को बैंक लिंकेज कर उन्हें वित्तपोषण किया गया है |
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