"आर्य प्रवास सिद्धान्त": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
No edit summary टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
|||
पंक्ति 1:
{{आधार}}
'''आर्यन प्रवास सिद्धांत''' (English - Indo-Aryan Migration Theory) मुख्यतः ब्रिटिश शासन काल की देन है। जिसके अंतर्गत अंग्रेजी इतिहासकारों का कहना था कि भारतीय आर्य संबोधन का युरोपीय आर्यन जाति से सम्बन्ध है। भारत में आर्यों का युरोपीय देशों से आगमन हुआ।
उनका कहना था कि भारतीय मूल के कहलाने वाले [[आर्य]] यूरोप से भारत आए और भारत में भी अपनी सभ्यता स्थापित की। यह उनके द्वारा किये गए शोध से यह ज्ञात हुआ। उ
उपयुक्त सिद्धांत का प्रतिपादन १८वी शताब्दी के अंत में तब किया गया जब यूरोपीय भाषा परिवार की खोज हुई। जिसके अंतर्गत भारतीय भाषाओं में युरोपीय भाषाओं से कई समानताएं दिखीं। जैसे घोड़े को ग्रीक में इक्वस, फ़ारसी में इश्प और संस्कृत में अश्व कहते हैं, भाई को लैटिन-ग्रीक में फ्रेटर (अंग्रेज़ी में फ्रेटर्निटी, Fraternity), फ़ारसी में बिरादर और संस्कृत में भ्रातर कहते हैं ।
== मुख्य सिद्धांत ==
|