"सोरों": अवतरणों में अंतर

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{{Infobox settlement
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[[सोरों शूकरक्षेत्र]] सूकरक्षेत्र [[भारत]] के [[उत्तर प्रदेश]] राज्य में कासगंज जनपद<ref>http://kanshiramnagar.nic.in</ref> का एक नगर है। यहाँ प्रत्येक अमावस्या, सोमवती अमावस्या, पूर्णिमा, रामनवमी, मोक्षदा एकादशी आदि अवसरों पर तीर्थयात्रियों का बड़ी संख्या में आवागमन होता है और गंगा में स्नान कर पुण्य प्राप्त करते हैं। यहाँ अस्थि विसर्जन का विशेष महत्त्व है। यहाँ स्थित कुण्ड में विसर्जित की गईं अस्थियाँ तीन दिन के अन्त में रेणुरूप धारण कर लेती हैं। यह महाकवि गोस्वामी तुलसीदास की जन्मभूमि है।
 
सोरों के तीर्थपुरोहितपण्डे जगत्जगत विख्यात हैं। इनके पास प्रत्येक परिवार के पूर्वजो का इतिहासइतिहास् हैं।
 
== तीर्थ स्थल ==
== तीर्थस्थल ==
यह उत्तर भारत का प्रमुख तीर्थ स्थल है, जो सूकरक्षेत्रशूकरक्षेत्र के रूप में विख्यात है। सूकरक्षेत्रशूकरक्षेत्र उत्तर प्रदेश में जनपद- [[कासगंज]] से 15 किमी० दूर है। इस तीर्थ का पौराणिक नाम 'ऊखल तीर्थ' है। बौद्धकालप्राचीन समय में [[सोरों]] सूकरक्षेत्रशूकरक्षेत्र को "सोरेय्य" नाम से भी जाना जाता था। [[सोरों]] सूकरक्षेत्रशूकरक्षेत्र के प्राचीन नाम "सोरेय्य" का उल्लेख पाली साहित्य में भी है।
 
==ऐतिहासिक महत्व==
पहले [[सोरों]] सूकरक्षेत्रशूकरक्षेत्र के निकट ही गंगा बहती थी, किंतु अब गंगा दूर हट गई है। पुरानी धारा के तट पर अनेक प्राचीन मन्दिर स्थित हैं। यह भूमि भगवान् विष्णु के तृतीयावतार भगवान् वराहवाराह की मोक्षभूमि एवं श्रीरामचरितमानस के रचनाकार महाकवि गोस्वामी तुलसीदास जी तथा अष्टछाप के कवि [[नंददास]] जी की जन्मभूमि भी है। तुलसीदास जी ने रामायण की कथा अपने गुरु नरहरिदास जी से प्रथम बार यहीं पर सुनी थी। [[नंददास]] जी द्वारा स्थापित बलदेव का स्यामायन मन्दिर [[सोरों]] सूकरक्षेत्रशूकरक्षेत्र का प्राचीन मन्दिर है। पौराणिक गृद्धवट यहाँ स्थित है। श्री महाप्रभु [[वल्लभाचार्य]] जी की 23 वीं बैठक है। यहाँ हरि की पौड़ी में विसर्जित की गयीं अस्थियाँ तीन दिन के अन्त में रेणुरूपरेणु रूप धारण कर लेती हैं, ऐसा आज भी प्रत्यक्ष प्रमाण है। यहाँ भगवान् वराहवाराह का विशाल प्राचीन मन्दिर है। मार्गशीर्ष मेला यहाँ का प्रसिद्ध मेला है। जनश्रुति है कि भारतवर्ष के प्रत्येक हिन्दू परिवार में पूजे जाने वाली [[होलिका]] का जन्म भी इसी नगर में हुआ था।
 
==पुरावशेष==
भागीरथी गंगा नदी के तट पर एक प्राचीन स्तूप के खण्डहर भी मिले हैं, जिनमें सीता-राम के नाम से प्रसिद्ध मन्दिर स्थित है। कहा जाता है कि इस मन्दिर का निर्माण राजा बेन ने करवाया था।
"https://hi.wikipedia.org/wiki/सोरों" से प्राप्त