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{{राजवंशी ज्ञानसन्दूक
}}
'''बिम्बिसार''' (558 ईसापूर्व – 491 ईसापूर्व) [[मगध]] साम्राज्य का सम्राट था (542 ईपू से 492 ईपू तक)। वह [https[w://hi.wikipedia.org/wiki/हर्यक_वंश हर्यंक:हर्यक वंश]] का था। उसने अंग राज्य को जीतकर अपने साम्राज्य का विस्तार किया। यही विस्तार आगे चलकर [[मौर्य साम्राज्य]] के विस्तार का भी आधार बना।
 
== परिचय==
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== बिम्बिसार की मृत्यु==
बौद्ध ग्रन्थ '[[विनयपिटक]]' के अनुसार, बिम्बिसार ने अपने पुत्र [[अजातशत्रु_अजातशत्रु (मगध_का_राजामगध का राजा)|अजातशत्रु]] को युवराज घोषित कर दिया था परन्तु [[अजातशत्रु_अजातशत्रु (मगध_का_राजामगध का राजा)|अजातशत्रु]] ने जल्द राज्य पाने की कामना में बिम्बिसार का वध कर दिया। उसे ऐसा कृत्य करने के लिये [[बुद्ध]] के चचेरे भाई 'देवदत्त' ने उकसाया था और कई षड्यन्त्र रचा था।
 
जैनियों के ग्रन्थ 'आवश्यक सूत्र' के अनुसार, जल्द राज्य पाने की चाह में अजातशत्रु ने अपने पिता बिम्बिसार को कैद कर लिया, जहां रानी चेल्लना ने बिम्बिसार की देखरेख की। बाद में जब अजातशत्रु को पता चला कि उसके पिता उसे बहुत चाहतें हैं और वे उसे युवराज नियुक्त कर चुकें हैं, तो [[अजातशत्रु_अजातशत्रु (मगध_का_राजामगध का राजा)|अजातशत्रु]] ने लोहे की डन्डा ले कर बिम्बिसार की बेडियां काटने चला पर बिम्बिसार ने किसी अनिष्ठ की आशंका में जहर खा लिया।
 
{{भारतीय पौराणिक वंशावली (कलियुग)}}