"स्टीव जॉब्स": अवतरणों में अंतर

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जैसे ही मैंने कॉलेज छोड़ा मेरे ऊपर से ज़रूरी कक्षाओं करने की बाध्यता खत्म हो गयी। और मैं चुप-चाप सिर्फ अपने हित की कक्षाएं करने लगा। ये सब कुछ इतना आसान नहीं था। मेरे पास रहने के लिए कोई कमरे में नहीं था, इसलिए मुझे दोस्तों के कमरे में फर्श पे सोना पड़ता था। मैं कोक की बोतल को लौटाने से मिलने वाले पैसों से खाना खाता था।.. .मैं हर रविवार 7 मील पैदल चल कर हरे कृष्ण मंदिर जाता था, ताकि कम से कम हफ्ते में एक दिन पेट भर कर खाना खा सकूं। यह मुझे काफी अच्छा लगता था।
मैंने अपनी जिंदगी में जो भी अपनी जिज्ञासा और अंतर्ज्ञान की वजह से किया वह बाद में मेरे लिए अमूल्य साबित हुआ। यहां मैं एक उदाहरण देना चाहूँगा। उस समय रीड कॉलेज शायद दुनिया की सबसे अच्छी जगह थी जहाँ ख़ुशख़त (Calligraphy-सुलेखन ) * सिखाया जाता था। पूरे परिसर में हर एक पोस्टर, हर एक लेबल बड़ी खूबसूरती से हांथों से सुलिखित होता था। चूँकि मैं कॉलेज से ड्रॉप आउट कर चुका था इसलिए मुझे सामान्य कक्षाओं करने की कोई ज़रूरत नहीं थी। मैंने तय किया की मैं सुलेख की कक्षाएं करूँगा और इसे अच्छी तरह से सीखूंगा। मैंने सेरिफ(लेखन कला -पत्थर पर लिकने से बनाने वाली आकृतियाँ ) और बिना सेरिफ़ प्रकार-चेहरे(आकृतियाँ ) के बारे में सीखा; अलग-अलग अक्षर -संयोजन के बीच मेंस्थान बनाना और स्थान को घटाने -बढ़ाने से टाइप की गयी आकृतियों को खूबसूरत कैसे बनाया जा सकता है यह भी सीखा। यह खूबसूरत था, इतना कलात्मक था कि इसे विज्ञान द्वारा कब्जा नहीं किया जा सकता था, और ये मुझे बेहद अच्छा लगता था। उस समय ज़रा सी भी उम्मीद नहीं थी कि मैं इन चीजों का उपयोग करें कभी अपनी जिंदगी में करूँगा। लेकिन जब दस साल बाद हम पहला Macintosh कंप्यूटर बना रहे थे तब मैंने इसे मैक में डिजाइन कर दिया। और मैक खूबसूरत टाइपोग्राफी युक्त दुनिया का पहला कंप्यूटर बन गया। अगर मैंने कॉलेज से ड्रॉप आउट नहीं किया होता तो मैं कभी मैक बहु-टाइपफेस आनुपातिक रूप से स्थान दिया गया फोंट नहीं होते, तो शायद किसी भी निजी कंप्यूटर में ये चीजें नहीं होतीं(और चूँकि विंडोज ने मैक की नक़ल की थी)। अगर मैंने कभी ड्रॉप आउट ही नहीं किया होता तो मैं कभी सुलेख की वो कक्षाएं नहीं कर पाता और फिर शायद पर्सनल कंप्यूटर में जो फोंट होते हैं, वो होते ही नहीं।
बेशक, जब मैं कॉलेज में था तब भविष्य में देख कर इन बिन्दुओं कोजोड़ कर देखना (डॉट्स को कनेक्ट करना )असंभव था; लेकिन दस साल बाद जब मैं पीछे मुड़ कर देखता हूँ तो सब कुछ बिलकुल साफ़ नज़र आता है। आप कभी भी भविष्य में झांक कर इन बिन्दुओं कोजोड़ नहीं सकते हैं। आप सिर्फ अतीत देखकर ही इन बिन्दुओं को जोड़ सकते हैं; इसलिए आपको यकीन करना होगा की अभी जो हो रहा है वह आगे चल कर किसी न किसी तरह आपके भविष्य से जुड़ जायेगा। आपको किसी न किसी चीज में विश्ववास करना ही होगा -अपने हिम्मत में, अपनी नियति में, अपनी जिंदगी या फिर अपने कर्म में ... किसी न किसी चीज मैं विश्वास करना ही होगा ... क्योंकि इस बात में विश्वास करते करनारहना की आगे चल कर बिन्दुओं कोजोड़ सकेंगे जो आपको अपने दिल की आवाज़ सुनने की हिम्मत देगा ... तब भी जब आप बिलकुल अलग रास्ते पर चल रहे होंगे ... और कहा कि फर्क पड़ेगा।
 
== सन्दर्भ ==