"सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'": अवतरणों में अंतर

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'''सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'''' ([[११ फरवरी]], [[१८९६]]<ref>{{cite book |last=निराला |first=सूर्यकांत त्रिपाठी |title= लिलि|year=१९७८|publisher=राजकमल प्रकाशन|location=नई दिल्ली |id= |page=ब्लर्ब |accessday= १०|accessmonth= दिसम्बर|accessyear= २००८}}</ref> - [[१५ अक्टूबर]], [[१९६१]]) हिन्दी कविता के [[छायावादी युग]] के चार प्रमुख स्तंभों{{Ref_label|स्तंभ|क|none}} में से एक माने जाते हैं। वे [[जयशंकर प्रसाद]], [[सुमित्रानंदन पंत]] और [[महादेवी वर्मा]] के साथ [[हिन्दी साहित्य]] में '''[[छायावाद]]''' के प्रमुख स्तंभ माने जाते हैं। उन्होंने कहानियाँ, उपन्यास और निबंध भी लिखे हैं किन्तु उनकी ख्याति विशेषरुप से कविता के कारण ही है।
 
== जीवन परिचय ==