"मिश्रातु": अवतरणों में अंतर

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'''{{मुख्य|अन्तराधातुक}}'''
 
साधारणत: धातुएँ एक दूसरे के साथ संयोग कर यौगिक नहीं बनातीं, किंतु ऊष्मा विश्लेषण द्वारा ज्ञात हुआ है कि धातुएँ एक दूसरे के साथ संयोग कर बहुत अधिक संख्या में यौगिक बनाती हैं। इन यौगिकों का वर्गीय नाम अंतराधातुक यौगिक है। इस प्रकार के सबसे अधिक यौगिक क्षार और क्षारीय मिट्टी की धातुएँ, आवर्त सारणी के विषम उपवर्गो (odd subgroups) की धातुओं के साथ संयोग करके, बनाती हैं। इन यौगिकों में धातुएँ किस मात्रा में मिली हुई हैं, इसको रासायनिक सूत्रों द्वारा दर्शाते [[हैं]]।हैं। इन सूत्रों के अध्ययन से ज्ञात होता है कि इस प्रकार के यौगिक संयोजकता के उन सब नियमों का उल्लंघन करते हैं जो धातु तथा अधातु के संयोग से बननेवाले यौगिकों द्वारा प्रतिपादित हुए है। उदाहरणार्थ, सोडियम, टिन और सीसा के साथ रासायनिक क्रिया कर निम्नलिखित यौगिक बनाता है :
 
:NaSn6, NaSn4, NaSn3, NaSn2, (NaSn), (Na4 Sn2),