"कवि": अवतरणों में अंतर
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'''कवि''' वह है जो भावों को रसाभिषिक्त अभिव्यक्ति देता है और सामान्य अथवा स्पष्ट के परे गहन यथार्थ का वर्णन करता है। इसीलिये [[वैदिक काल]] में '''ऋषय: मन्त्रदृष्टार: कवय: क्रान्तदर्शिन:''' अर्थात् ऋषि को मन्त्रदृष्टा और कवि को क्रान्तदर्शी कहा गया है।
"जहाँ न पहुँचे रवि, वहाँ पहुँचे कवि" इस लोकोक्ति को एक दोहे के माध्यम से अभिव्यक्ति दी गयी है:
"जहाँ न पहुँचे रवि वहाँ, कवि पहुँचे तत्काल। दिन में कवि का काम क्या, निशि में करे कमाल।।" ('क्रान्त' कृत '''मुक्तकी''' से साभार)वर्तमान समय मे मुख्य तीन प्रसिद्ध कवि है जिनको कवियों मे सम्राट की उपाधी दी जाती है जो अपने काव्यो से विश्व विख्यात हुये है-
*महाकवि आचार्यश्री 108 विद्यासागर जी महाराज इन्होने कई काव्य महापुराण लिखे है जिनमे सबसे सुंदर इनका मूकमाटी महाकाव्य है जिसने देश वा विदेश मे अनेकों ख्यातियों को प्राप्त किया है*
*महाकवि चर्याशिरोमणि अध्यात्म योगी आचार्यश्री 108 विशुद्धसागर जी मुनिराज इन्होने हजारो शास्त्रों का अनुवाद किया है इनकी पुरषार्थ.देशना ने विश्व मे जैनागम का शंखनाद किया है इनके बारे मे जितना लिखो उतना कम है*
*आध्यात्मिक कवि ह्रदय लघुनँदन जैन सियावास तीर्थ बेगमगंज यह कवियों मे चंद्र के समान है जो अपनी शीतल शीतल कविताओं से श्रोताओं को आनंदित करते है इनकी मुख्य रचना है श्री सँगानेर वाले बाबा का महामंडल विधान ओर एक ऐतिहासिक रचना है"श्री क्षेत्र भरत का भारत मंगलगिरी श्री भरतेश्वर महा मंडल विधान"जिसको पढ़कर अपने [[भारत]] देश की प्रति श्रध्दा बढ़ती है*
*आध्यात्मिक कवि ह्रदय लघुनँदन जी कहते है*
*कवि का जीवन-सत्य का दिग्दर्शन*
== शायर ==
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