"भक्ति काल": अवतरणों में अंतर

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[[हिंदी साहित्य]] का '''भक्ति काल''' 1375 ईo से 1700 ईo तक माना जाता है। यह [[हिंदी साहित्य]] का श्रेष्ठ युग है। समस्त हिंदी साहित्य के श्रेष्ठ कवि और उत्तम रचनाएं इस युग में प्राप्त होती हैं।
 
दक्षिण में [[आलवार बंधु]] नाम से कई प्रख्यात भक्तप्रख्याक्त हुए हैं। इनमें से कई तथाकथित नीची जातियों के भी थे। वे बहुत पढे-लिखे नहीं थे, परंतु अनुभवी थे। आलवारों के पश्चात दक्षिण में आचार्यों की एक परंपरा चली जिसमें [[रामानुजाचार्य]] प्रमुख थे।
 
रामानुजाचार्य की परंपरा में [[रामानंद]] हुए। उनका व्यक्तित्व असाधारण था। वे उस समय के सबसे बड़े आचार्य थे। उन्होंने भक्ति के क्षेत्र में ऊंच-नीच का भेद तोड़ दिया। सभी जातियों के अधिकारी व्यक्तियों को आपने शिष्य बनाया। उस समय का सूत्र हो गयाः