"महायान": अवतरणों में अंतर

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'थेरवाद' शब्द का अर्थ है 'बड़े-बुज़ुर्गों का कहना'। बौद्ध धर्म की इस शाखा में [[पालि भाषा]] में लिखे हुए प्राचीन [[त्रिपिटक]] धार्मिक ग्रंथों का पालन करने पर बल दिया जाता है। थेरवाद अनुयायियों का कहना है कि इस से वे बौद्ध धर्म को उसके मूल रूप में मानते हैं। इनके लिए [[गौतम बुद्ध]] एक गुरू एवं महापुरुष अवश्य हैं लेकिन कोई [[अवतार]] या [[ईश्वर]] नहीं। वे उन्हें पूजते नहीं और न ही उनके धार्मिक समारोहों में बुद्ध-पूजा होती है। जहाँ महायान बौद्ध परम्पराओं में देवी-देवताओं जैसे बहुत से दिव्य जीवों को माना जाता है वहाँ [[थेरवाद]] बौद्ध परम्पराओं में ऐसी किसी हस्ती को नहीं पूजा जाता। थेरवादियों का मानना है कि हर मनुष्य को स्वयं ही [[निर्वाण]] का मार्ग ढूंढना होता है। इन समुदायों में युवकों के भिक्षु बनने को बहुत शुभ माना जाता है और यहाँ यह प्रथा भी है कि युवक कुछ दिनों के लिए भिक्षु बनकर फिर गृहस्थ में लौट जाता है। थेरवाद शाखा दक्षिणी एशियाई क्षेत्रों में प्रचलित है, जैसे की [[श्रीलंका]], [[बर्मा]], [[कम्बोडिया]], [[म्यान्मार]], [[थाईलैंड]] और [[लाओस]]।<ref name="ref51hicax">[http://books.google.com/books?id=7__VXD1KPAEC Inside Buddhism (eBook)], Kathy Zaun, Lorenz Educational Press, ISBN 978-0-7877-8193-4, Pages 26-27</ref> पहले ज़माने में 'थेरवाद' को '[[हीनयान]] शाखा' कहा जाता था, लेकिन अब बहुत विद्वान कहते हैं कि यह दोनों अलग हैं।
 
महायान बौद्ध धर्म के अनुयायी कहते हैं कि अधिकतर मनुष्यों के लिए निर्वाण-मार्ग अकेले ढूंढना मुश्किल या असम्भव है और उन्हें इस कार्य में सहायता मिलनी चाहिए। वे समझते हैं कि ब्रह्माण्ड के सभी प्राणी एक-दूसरे से जुड़े हैं और सभी से प्रेम करना और सभी के निर्वाण के लिए प्रयत्न करना आवश्यक है। किसी भी प्राणी के लिए दुष्भावना नहीं रखनी चाहिए क्योंकि सभी जन्म-मृत्यु के जंजाल में फंसे हैं। एक हत्यारा या एक तुच्छ जीव अपना ही कोई फिर से जन्मा पूर्वज भी हो सकता है इसलिए उनकी भी सहायता करनी चाहिए। प्रेरणा और सहायता के लिए [[बोधिसत्त्वों]] को माना जाता है जो वे प्राणी हैं जो निर्वाण पा चुके हैं। महायान शाखा में ऐसे हज़ारों बोधिसत्त्वों को पूजा जाता है और उनका इस सम्प्रदाय में देवताओं-जैसा स्थान है। इन बोधिसत्त्वों में कुछ बहुत प्रसिद्ध हैं, उदाहरण के लिए [[अवलोकितेश्वर]] (अर्थ: 'दृष्टि नीचे जगत पर डालने वाले प्रभु'), [[अमिताभ]] (अर्थ: 'अनंत प्रकाश', 'अमित आभा'), [[मैत्रेय]], [[मंजुश्री]] और [[क्षितिगर्भ]]।<ref name="ref51hicax"/>