"स्कन्द पुराण": अवतरणों में अंतर

No edit summary
पंक्ति 11:
| language = [[संस्कृत]]
| series = [[पुराण]]
| subject = [[शैव]], [[स्कन्द]], [[भक्ति]], [[तीर्थ|तीर्थ-वर्णन]]
| genre = प्रमुख शैव एवं कार्तिकेय लीलातीर्थ-वर्णन प्रधान ग्रन्थ
| publisher =
| pub_date =
पंक्ति 26:
विभिन्न विषयों के विस्तृत विवेचन की दृष्टि से [[पुराण|पुराणों]] में '''स्कन्दपुराण''' सबसे बड़ा है। भगवान [[स्कन्द]] के द्वारा कथित होने के कारण इसका नाम 'स्कन्दपुराण' है।
 
यह खण्डात्मक और संहितात्मक दो स्वरूपों में उपलब्ध है। दोनों खण्डों में ८१-८१ हजार श्लोक परंपरागत रूप से माने गये हैं। खण्डात्मक स्कन्द पुराण में क्रमशः माहेश्वर, वैष्णव, ब्राह्म, काशी, अवन्ती (ताप्ती और रेवाखण्ड) नागर तथा प्रभास -- ये सात खण्ड हैं। संहितात्मक स्कन्दपुराण में सनत्कुमार, शंकर, ब्राह्म, सौर, वैष्णव और सूत -- छः संहिताएँ हैं। इसमें बदरिकाश्रम, अयोध्या, जगन्नाथपुरी, रामेश्वर, कन्याकुमारी, प्रभास, द्वारका, काशी, कांची आदि तीर्थों की महिमा; गंगा, नर्मदा, यमुना, सरस्वती आदि नदियों के उद्गम की मनोरथ कथाएँ; रामायण, भागवतादि ग्रन्थों का माहात्म्य, विभिन्न महीनों के व्रत-पर्व का माहात्म्य तथा शिवरात्रि, सत्यनारायण आदि व्रत-कथाएँ अत्यन्त रोचक शैली में प्रस्तुत की गयी हैं। विचित्र कथाओं के माध्यम से भौगोलिक ज्ञान तथा प्राचीन इतिहास की ललित प्रस्तुति इस पुराण की अपनी विशेषता है। आज भी इसमें वर्णित विभिन्न व्रत-त्योहारों के दर्शन भारत के घर-घर में किये जा सकते हैं।
 
इसमें लौकिक और पारलौकिक ज्ञानके अनन्त उपदेश भरे हैं। इसमें धर्म, सदाचार, योग, ज्ञान तथा भक्तिके सुन्दर विवेचनके साथ अनेकों साधु-महात्माओं के सुन्दर चरित्र पिरोये गये हैं। आज भी इसमें वर्णित आचारों, पद्धतियोंके दर्शन हिन्दू समाज के घर-घरमें किये जा सकते हैं। इसके अतिरिक्त इसमें भगवान शिवकी महिमा, सती-चरित्र, शिव-पार्वती-विवाह, कार्तिकेय-जन्म, तारकासुर-वध आदि का मनोहर वर्णन है।<ref>[http://www.gitapress.org/hindi/search_result.asp गीताप्रेस डाट काम]</ref>
== विस्तार ==
स्कन्द पुराण एक शतकोटि पुराण है। जिसमें शिव की महिमा का वर्णन किया है, उसके सारभूत अर्थ का [[वेद व्यास|व्यासजी]] ने स्कन्दपुराण में वर्णन किया है। स्कन्द पुराण इक्यासी हजार श्लोकों से युक्त है एवं सात खण्ड है। पहले खण्ड का नाम माहेश्वर खण्ड है, इसमें बारह हजार से कुछ कम श्लोक है। दूसरा वैष्णवखण्ड है, तीसरा ब्रह्मखण्ड है। चौथा काशीखण्ड एवं पांचवाँपाँचवाँ अवन्तीखण्ड है फिर क्रमश: नागर खण्ड एवं प्रभास खण्ड है।<ref name="स्कन्द पुराण-गीताप्रेस गोरखपुर">स्कन्द पुराण-गीताप्रेस गोरखपुर</ref>
 
स्कन्द पुराण के कई संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं। प्राचीन संस्करणों में नवल किशोर प्रेस, लखनऊ एवं वेंकटेश्वर प्रेस, बंबई के संस्करण हैं। इन दोनों संस्करणों के साथ-साथ एक बाङ्ला संस्करण के भी आधार पर स्कन्द पुराण के पाँच खण्डों का संपादित संस्करण 1960-62 ई० में मनसुखराय मोर, 5 क्लाइव राॅ, कलकत्ता से छह जिल्दों में प्रकाशित हुआ। इसी के साथ नागर तथा प्रभास खण्ड को भी मिलाकर सम्पूर्ण स्कन्द पुराण (मूलमात्र) अब चौखम्बा संस्कृत सीरीज ऑफिस, वाराणसी से प्रकाशित है।<ref>स्कन्दमहापुराणम्, चौखम्बा संस्कृत सीरीज ऑफिस, वाराणसी, संस्करण-2003ई०, जिल्द-1 से 6 तक की भूमिकादि में परिलक्षित।</ref> इसी संस्करण से श्लोकों की गणना करने पर यह स्पष्ट हो जाता है कि स्कन्द पुराण में कालान्तर में कम से कम तेरह हजार श्लोक प्रक्षिप्त रूप में शामिल हो गये हैं। श्लोकों की कुल संख्या 81,100 की बजाय 94,410 हो गयी हैं; जबकि कुल संख्या विभिन्न पुराणों में उल्लिखित संख्या (81,100) से कुछ हजार कम ही होनी चाहिए थी, क्योंकि पुराणगत प्राचीन गणना में श्लोकों के साथ उवाचों की संख्या भी मिली रहती थी। यह स्वतंत्र शोध का विषय है। बहरहाल यहाँ उक्त संस्करण से अध्याय सहित श्लोकों की सम्पूर्ण संख्या दी जा रही है।