"अहले सुन्नत वल जमात": अवतरणों में अंतर

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[[अहले हदीस]] वह सुन्नी हैं जो सूफिज्म में विश्वास नहीं करते इन्हें सलफ़ी भी कहा जाता हैं क्यों की ये इस्लाम को उस तरह समझने और मानाने का दावा करते हैं हैं जिस तरह सलफ(पहले ३०० साल के मुस्लमान) ने क़ुरान और सुन्नत को समझा, सलफ़ी सुन्नी उर्फ़ अहले हदीस ज़यादातर सऊदी अरब और क़तर में हैं। ये किसी इमाम की तक़लीद नही करते ।ऐसा कहा जाता हैं कि पूरे विश्व के मुसलमानो में कट्टरपंथ फ़ैलाने का काम देओबंदी और वहाबी विचारधारा ने किया है हालांकि कश्मीर और चेचन्या में उग्रवाद की शुरुआत सूफी पंथ के मानने वालों ने ही कि थी ।
 
1925 में अरब पर आले सऊद द्वारा तीसरे और निर्णायक क़ब्ज़े के बाद नाम बदलकर सऊदी अरब रख दिया और धार्मिक व ऐतिहासिक महत्व की विरासतों को मूर्तिपूजा(शिर्क) की संज्ञा देकर ढहा दिया गया जिसमे सैय्यदा फातिमा की मज़ार और उस्मान गनी की मज़ार शामिल है।
[[चित्र:TombSalimChisti.jpg|thumb|फतेहपुर सीकरी, उत्तर प्रदेश में सूफी संत शेख सलीम चिश्ती के मकबरे]]