"उमर": अवतरणों में अंतर

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== इस्लाम क़बूल करना ==
उमर मक्का में एक समृद्घ परिवार से थे, बहुत बहादुर तथा दिलेर व्यकित थे। उमर मुसलमानों को पसन्द नहीं करते थे, ना ही मुहम्मद साहब के मिशन को। परन्तु पैगम्बर मुहम्म्द साहब एक शाम काबे के पास जाकर अल्लाह से दुआ किया कि अल्लाह उमर को या अम्र [[अबू जहल]] दोनों में से जो तुझको प्रिय हो हिदायत दे। यह दुआ उमर के हक़ में क़बूल हुई। उमर एक बार पैगम्बर के कत्ल के इरादे से निकले थे, रास्ते में नईम नाम का एक शख़्स मिला जिसने उमर को बताया कि उनकी बहन तथा उनके पती इस्लाम ला चुके हैं। उमर गुस्से में आकर बहन के घर चल दिये। वह दोनों घर पर कुरआन पढ़ रहे थे। उमर उनसे कुरआन मांगने लगे मगर उनहोंने मना कर दिया। उमर क्रोधित होकर उन दोनों को मारने लगे।
 
मगर उनकी बहन ने कहा हम मर जाएंगे लेकिन इस्लाम नहीं छोड़ेंगे। बहन के चेहरे से खून टपकता देखकर उमर को शर्म आयी तथा ग़लती का अहसास हुआ। कहा कि मैं कुरआन पढ़ना चाहता हूँ, इसको अपमानित नहीं करूंगा वायदा किया। जब उमर ने कुरआन पढ़ा दो बोले यक़ीनन ये ईश्वर की वाणी है किसी मनुष्य की रचना नहीं हो सकती। एक चमत्कार की तरह से उमर कुरआन के सत्य को ग्रहण कर लिया तथा मुहम्मद साहब से मिलने गये। मुहम्मद साहब को बहुत प्रसन्नता हुई जब उमर इस्लाम में दाखिल हो गये। मुसलमानों खुशी की लहर दौड़ गई उमर के इस्लाम लाने पर। उमर ने एलान किया कि अब सब मिलके नमाज़ काबे में पढ़ेंगे जो कि पहले कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था। उमर इस्लाम के शत्रू थे परन्तु अब वह इस्लाम के सरंक्षक बन गये। उमर को इस्लाम में देखकर मुहम्मद साहब के शत्रूवों में कोहराम मच गया। अब इस्लाम को उमर नाम की एक तेज़ तलवार मिल गई थी जिससे सारा मक्का थर्राता था।
"https://hi.wikipedia.org/wiki/उमर" से प्राप्त