"साँचा:आज का आलेख २१ मई २००९": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Kohlenstoffnanoroehre Animation.gif|80px|right|कार्बन नैनोट्यूब का त्रिआयामि मोडेल]]<div style="font-size:90%;border:none;margin: 0;padding:.1em;color:#000"> '''फुलेरेन''' (या फुलेरीन En:Fullerene) [[कार्बन]] का बहुत ही उपयोगी बहुरूप है। कार्बन के इस जटिल रूप में कार्बन परमाणु एक दूसरे से षटफलाकार या पंच भुजाकार रूप में जुड़ कर एक पिंजड़ा की रचना बनाते हैं। इसे [[१९९५]] ई. में राइस विश्वविद्यालय के प्रोफेसर आर इ स्मैली तथा उनके सहकर्मियों द्वारा बनाया गया। इस खोज के लिए उन्हें वर्ष [[१९९६]] ई. का [[नोबेल पुरस्कार]] प्राप्त हुआ। फुलेरेन का सबसे साधारण रूप बकमिनिस्टर है। यह एक रवेदार बहुरूप है, जिसका प्रत्येक अणु ६० कार्बन [[परमाणुओं]] का गोलाकार समूह होता है। इसकी [[ज्यामिति]] अमेरिकी कलाकार आर. बकमिनिस्टर फुलर की प्रसिद्ध ज्यामिति संरचना जैसी होने के कारण इसे बकमिनिस्टर फुलेरेन भी कहते हैं। इसे C<sub>60</sub> द्वारा निरूपित करते हैं। इसके अतिरिक्त C<sub>32</sub>, C<sub>50</sub>, C<sub>70</sub>, C<sub>76</sub> आदि फुलेरेन छोटे-बड़े गोलाकार रचनाओं के रूप में पाएँ जाते हैं। इनमें कार्बन परमाणु एक दूसरे से स्वतंत्र कण के रूप में जुड़े रहते हैं। इसकी रचना कार्बन के अन्य बहुरूपों हीरा तथा ग्रेफाइट से भिन्न है।
'''[[फुलेरेन|विस्तार से पढ़ें]]'''</div>