"२०११ क्रिकेट विश्व कप फाइनल": अवतरणों में अंतर

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विश्व कप से पहले ही सन्यास घोषणा कर चुके मुथैया मुरलीधरन को श्रीलंकाई टीम उनके आखिरी मैच मे जीत के साथ विदाई देने के हिसाब से मैच में उतरी। दर्शकों के शोर ज्यादा होने के कारण पहली बार किसी विश्व कप फाॅइनल मैंच मे टाॅस को दुबारा उछाला गया। श्रीलंकाई कुमार सगांकारा ने टाॅस जीता और पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया। उपल थंरगा और तिलरत्ने दिलशान ने पारी की शुरूआत की। लेकिन जहीर खान की कसी हुई गेंदबाजी ने दोनो बल्लेबाजो को खुलकर रन नहीं बनाने दिए। और जल्द ही पारी के सातवें ओवर मेें जहीर खान ने थरंगा को सहवाग के हाथों कैच आऊट करवा कर टीम को पहली सफलता दिलाई। तीसरे नंबर पर आये कुमार सगांकारा ने दिलशान के साथ मिल कर पारी को आगे बढ़ाया और टीम का स्कोर ५॰ के पार पहुंचाया। साठ के स्कोर पर तिलरत्ने दिलशान हरभजन सिंह की एक गेंद को समझ नहीं पाए और बोल्ड हो गए। चैथे नंबर पर आये कप्तान महेला जयवर्धने ने सगांकारा के साथ मिल कर तीसरे विकेट के लिए ५४ रन की साझेदारी की। खतरनाक होती हुई लग रही इस साझेदारी को युवराज सिंह ने धोनी के हाथों संगाकारा को ४८ के निजी योग पर स्टंप करवा तोड़ा। पांचवे नंबर पर आये समनवीरा ने भी पारी को धीरे धीरे आगे बढ़ाया और टीम को ढे़ढ सौ के पार पहुंचा दिया और इसी बीच जयवर्धने ने अपना अर्धशतक भी पूरा किया। 39वें ओवर में समनवीरा को युवराज सिंह ने 21 के स्कोर पर पगबाधा किया। जल्द ही कपुगेदरा को 1 पर आऊट करके श्रीलंकाई पारी को खतरे में डाल दिया। यहां से कुलाशेखरा ने कप्तान का बढ़िया साथ निभाया और टीम के स्कोर को ढाई सौ के करीब ले गए। आठवें नबंर पर थिसारा परेरा ने अंत में तेजी से बल्लेबाजी की वहीं जयवर्धने ने शानदार शतक लगाया। निर्धारित ५॰ की समाप्ति पर श्रीलंका ने छह विकेट पर २७४ का स्कोर खड़ा किया। भारत की तरफ से जहीर खान और युवराज सिंह दोनो ने दो-दो विकेट झटके।
 
२७५ रनों का पीछा करने ऊतरी भारतीय टीम की शुरुआत बेहद खराब रही, जब पारी की दूसरी ही गेंद पर विस्फोटक बल्लेबाज विरेन्द्र सहवाग लंसिथ मलिंगा की गेंद पर एलबीडब्लयू आऊट दे दिये गए। अभी पहले झटके से ठीक तरीके ऊभरी नहीं थी कि मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर भी १४ गेंदों पर १८ रन बनाकर लसिथ मलिंगा की गेंद पर विकेट के पीछे संगाकारा को कैच दे बैठे। ३१ पर दो विकेट गिर जाने के बाद चार नंबर पर भेजे गए विराट कोहली और गौतम गंभीर ने पारी को संभाला और तीसरे विकेट के लिए ८४ रनों की बेहद अहम साझेदारी की। पारी के १९ ओवर में गौतम गंभीर ने अपना अर्धशतक पूरा किया। इस साझेदारी को २२वें ओवर में दिलशान ने अपनी ही गेंद पर विराट कोहली को कैच आऊट करके तोड़ा। नंबर चार प्रोमोट किए गए कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने गौतम गंभीर के साथ मिल कर पारी को आगे बढ़ाया। दोनो खिलाङियों के बीच चैथे विकेट के लिए १॰९ रन की बेहद अहम साझेदारी की। फाइॅनल में पहले भारतीय शतक बनाने करीब पहुंचे गौतम गंभीर परेरा की गए गेंद को समझ नहीं सके और ९७ के स्कोर पर आऊट हो गए। नंबर छह पर आये युवराज सिंह ने कप्तान धोनी का बखूबी साथ दिया और भातीय टीम को जीत की मंजिल तक पहुंचा दिया।  कुलाशेखरा की गेंद पर एतिहासिक छक्का लगाकर धोनी ने भारत को छह विकेट से जीत दिला दी। युवराज सिंह जहां २१ पर नाबाद रहे वही धोनी ९१ पर नाबाद लौटे। महेंद्र सिंह धोनी को उनके बेहतरीन ९१ के लिए मैन आॅफ द मैच का पुरस्कार दिया गया वहीं पूरे टूर्नामैंट में अपने हरफनमौला खेल के कारण युवराज सिंह को मैन आॅफ द टूर्नामैंट के खिताब से नावाज़ा गया। इसी के साथ महेंद्र सिंह धोनी टी२॰ और वनडे विश्वकप जीतने वाले विश्व के पहले कप्तान बन गए।
 
==सन्दर्भ==