थल में तहसील के गठन की अधिसूचना 30३० सितंबर 2014२०१४ को जारी हुई थी, लेकिन सरकार ने इस तहसील में कामकाज एक साल बाद 13१३ सितंबर 2015२०१५ से शुरू किया। तहसील का कामकाज शुरू होते समय जनता को यह भरोसा दिलाया गया था कि[[बेरीनाग तहसील से संबंधित सभी काम अब यहीं पर होंगे। |बेड़ीनाग]] और [[डीडीहाट तहसील]] के कई पटवारी क्षेत्रों के 114११४ गांव थल तहसील में शामिल किए गए थे।<ref>{{cite news|title=इस तहसील से अब तक लोगों को कोई फायदा नहीं|url=http://www.amarujala.com/uttarakhand/pithoragarh/201508087858-pithoragarh-news|accessdate=२४ अक्टूबर २०१७|publisher=अमर उजाला|date=१५ अक्टूबर २०१७|location=थल|language=hi}}</ref>
==अर्थव्यवस्था==
थल मेले में भोटिया व्यापारी तिब्बत लौटने से पहले आखिरी बार बर्तन तथा ऊन बेचते थे।<ref>{{cite book|first1=गिरिराज|last1=शाह|title=Kingdom of Gods: Uttarakhand|date=१९७५|publisher=अभिनव प्रकाशन|language=अंग्रेजी}}</ref> इसके अतिरिक्त [[काशीपुर]] तथा [[अल्मोड़ा]] के कपड़ों और [[पिथौरागढ़|सौर]] तथा [[डीडीहाट तहसील|सिरा]] से आये तेल तथा मिर्च उत्पादों का भी क्रय-विक्रय होता था।
पर्वतीय क्षेत्रों में मिनी मंडियां बनाकर स्थानीय उत्पादकों को लाभावित करने के लिए थल में मंडी परिषद की योजना के तहत एक मंडी स्वीकृत की गई। इसके पीछे थल, डीडीहाट, मुनस्यारी[[मुनस्यारी]], [[बेरीनाग, बेरीनाग तहसील|बेरीनाग]] से उत्पादित होने वाली साग, सब्जी, फल और अनाज इस मंडी में पहुंचने थे ताकि स्थानीय उत्पादकों को बिचौलियों से मुक्ति मिले और उत्पादक प्रेरित हो सकें। तीन वर्ष पूर्व तैयार मंडी अभी तक चालू नहीं हो सकी है।<ref>{{cite news|title=दो करोड़ की मंडी बनी आवारा जानवरों की आरामगाह|url=http://www.jagran.com/uttarakhand/pithoragarh-mandi-16871240.html|accessdate=24 अक्तूबर 2017|date=२०१७|publisher=दैनिक जागरण|location=थल}}</ref>