"वज्रयान": अवतरणों में अंतर

No edit summary
शुद्ध बज्र हे, वज्र नही।
पंक्ति 1:
{{बौद्ध धर्म}}
 
'''वज्रयानबज्रयान''' ({{lang-bn|বজযান}}; [[मलयाली]]: വജ്രയാന; [[उडिया भाषा|उडिया]]: ବଜ୍ରଯାନ; [[तिब्बती भाषा|तिब्बती]]: རྡོ་རྗེ་ཐེག་པ་, दोर्जे थेग प; [[मंगोल भाषा|मंगोल]]: Очирт хөлгөн, ''ओचिर्ट होल्गोन''; [[चीनी भाषा|चीनी]]: 密宗, ''मि ज़ोंग'') को '''तांत्रिक बौद्ध धर्म''', '''तंत्रयान''', '''मंत्रयान''', '''गुप्त मंत्र''', '''गूढ़ बौद्ध धर्म''' और '''विषमकोण शैली''' या '''वज्र रास्ता''' भी कहा जाता है। वज्रयान [[बौद्ध धर्म|बौद्ध]] दर्शन और अभ्यास की एक जटिल और बहुमुखी प्रणाली है जिसका विकास कई सदियों में हुआ।{{sfn|Macmillan Publishing|2004|p=875-876}}
 
वज्रयानबज्रयान [[संस्कृत]] शब्द, अर्थात हीरा या तड़ित का वाहन है, जो तांत्रिक बौद्ध धर्म भी कहलाता है तथा [[भारत]] व पड़ोसी देशों में, विशेषकर [[तिब्बत]] में बौद्ध धर्म का महत्त्वपूर्ण विकास समझा जाता है। [[बौद्ध धर्म]] के इतिहास में वज्रयान का उल्लेख [[महायान]] के आनुमानिक चिंतन से व्यक्तिगत जीवन में बौद्ध विचारों के पालन तक की यात्रा के लिये किया गया है।
 
;बज्र
;वज्र
‘वज्र’‘बज्र’ शब्द का प्रयोग मनुष्य द्वारा स्वयं अपने व अपनी प्रकृति के बारे में की गई कल्पनाओं के विपरीत मनुष्य में निहित वास्तविक एवं अविनाशी स्वरूप के लिये किया जाता है।
 
;यान
पंक्ति 22:
 
;विशेषता
दार्शनिक तौर पर वज्रयानबज्रयान में योगाचार साधना पद्धति, जिसमें मन की परम अवस्था (निर्वाण) पर बल दिया जाता है और माध्यमिक विचारदर्शन, जिसमें किसी आपेक्षिकीय सिद्धान्त को ही अंतिम मान लेने की चेष्ठा का विरोध किया जाता है, दोनों ही समाहित हैं।
 
आंतरिक अनुभवों के बारे में वज्रयानबज्रयान ग्रंथों में अत्यंत प्रतीकात्मक भाषा प्रयोग की गई है। जिसका उद्देश्य इस पद्धति के साधकों को अपने भीतर ऐसे अनुभव प्राप्त करने में सहायता करना हैं, जो मनुष्य को उपलब्ध सर्वाधिक मूल्यवान अनुभूति समझे जाते हैं। इस प्रकार, वज्रयानबज्रयान गौतम बुद्ध के बोधिसत्त्व (ज्ञान का प्रकाश) प्राप्त करने के अनुभव को फिर से अनुभव करने की चेष्टा करता है।
 
;तांत्रिक दृष्टि के सिद्धांत