"रतलाम": अवतरणों में अंतर

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महाराजा रतनसिंह और उनके पुत्र रामसिंह के नामों के संयोग से शहर का नाम रतनराम हुआ, जो बाद में अपभ्रंशों के रूप में बदलते हुए क्रमशः रतराम और फिर रतलाम के रूप में जाना जाने लगा।{{cn|date=जुलाई 2016}}
 
मुग़ल बादशाह शाहजहां ने रतलाम जागीर को रतन सिह को एक हाथी के खेल में, उनकी बहादुरी के उपलक्ष में प्रदान की थी। उसके बाद, जब शहजादा [[शुजा]] और [[औरंगजेब]] के मध्य [[उत्तराधिकारी]] की जों जंग शरू हुई थी, उसमे रतलाम के राजा रतन सिंह ने बादशाह शाहजहां का साथ दिया था। औरंगजेब के सत्ता पर असिन होने के बाद, जब अपने सभी विरोधियो को जागीर और सत्ता से बेदखल किया, उस समय, रतलाम के राजा रतन सिंह को भी हटा दिया था और उन्हें अपना अंतिम समय [[मंदसौर]] जिला के [[सीतामऊ]] में बिताना पड़ा था और उनकी मृत्यु भी सीतामऊ में भी हुई, जहाँ पारपर आज भी उनकी [[समाधी]] की छतरिया बनी हुई हैं।
 
औरंगजेब द्वारा बाद में, रतलाम के एक सय्यद परिवार, जों की शाहजहां द्वारा रतलाम के [[क़ाज़ी]] और [[सरवनी]] जागीर के जागीरदार नियुक्त किये गए थे, द्वारा मध्यस्ता करने के बाद, रतन सिंह के बेटे को उत्तराधिकारी बना दिया गया।
"https://hi.wikipedia.org/wiki/रतलाम" से प्राप्त