"हेमाद्रिपंत": अवतरणों में अंतर

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हेमाद्रिपंत ने बहुत-सी धार्मिक पुस्तकें लिखीं जिनमे [[चतुर्वर्ग चिंतामणि]] है जिसमे हज़ारों व्रतों और उनके करने के विधान का वर्णन है। चिकित्सा के सम्बन्ध में इन्होने [[आयुर्वेद रहस्यम्]] पुस्तक लिखी जिसने हजारों बीमारियों और उनके निदान के बारे में लिखा गया है। इन्होने एक इतिहास विषयक पुस्तक भी लिखी जिसका नाम 'हेमाडपंती बखर' है। हेमाद्रिपंत ने प्रशासन और राजकीय कार्यो में एकरूपता लाने के लिए एक पुस्तक भी लिखी जिसमे राज-काज के दैनंदिन कार्यो की प्रक्रिया को विस्तार से निश्चित किया गया है।
 
हेमाद्रिपंत ने [[मोडी लिपि]] को सरकारी पत्रव्यवहार की भाषा बनाया। गोंदेश्वर मंदिर ([[सिन्नर,]] जिला : [[नासिक]]), तुलजाभवानी मंदिर ([[तुळजापूर]], जिला : [[सोलापूरउस्मानाबाद जिला|सोलापूर]]) तथा औंढा नागनाथ का ज्योतिर्लिंग मंदिर (आमर्दकपूर, औंढा-नागनाथ, जिला : [[हिंगोली]], [[महाराष्ट्र]] ) और अमृतेश्वर मंदिर (रतनगड, भंडारदरा, तालुका : [[अकोले]], जिला : [[अहमदनगर]]) को हेमाडपंथी वास्तुकारिता से बनाया गया है जिसका सृजन हेमाद्र्पंत ने किया था।
 
हेमाद्रिपंत ने भारत में [[बाजरा|बाजरे]] के पौधे, जिसे कन्नड़ में सज्जे, तमिल में कम्बू, तेलुगु में सज्जालू, मराठी में बाजरी और उर्दू, पंजाबी या हिंदी में [[बाजरा]] कहा जाता है, को बहुत प्रोत्साहन दिया। महाराष्ट्र में महालक्ष्मी के पूजन को प्रोत्साहित और वैभवशाली बनाने में भी हेमाद्रिपंत का बहुत योगदान है।