"पुष्पक विमान": अवतरणों में अंतर

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वाल्मीकि रामायण के अनुसार पुष्पक विमान कुछ ऐसा हुआ करता था:
 
{{cquote|तस्य ह्म्यर्स्य मध्यथ्वेश्म चान्यत सुनिर्मितम। बहुनिर्यूह्संयुक्तं ददर्श पवनात्मजः॥|| |<br>-[[वाल्मीकि रामायण]]<ref name="बदलाव"> {{cite web |url=http://badalav.com/ravan-ka-pushpak-plane/ |title= मन की गति से उड़ता था रावण का ‘पुष्पक विमान’ |accessdate= |last= दीक्षित |first= कीर्ति |date= ११ अक्तूबर, २०१६ }} </ref>}}
|title= मन की गति से उड़ता था रावण का ‘पुष्पक विमान’
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हनुमान जी ने जब इस अद्भुत विमान को देखा तो वे भी आश्चर्यचकित हो गयेथे। रावण के महल के निकट रखा हुए इस विमान का विस्तार एक योजन लम्बा और आधे योजन चौड़ा था एवं सुन्दर महल के सामान प्रतीत होता था। इस दिव्य विमान को विभिन्न प्रकार के रत्नों से भूषित कर स्वर्ग में देवशिल्पी विश्वकर्मा ने ब्रह्मा के लिए निर्माण किया था। जो कालान्तर में रावण के अधिकार में आ गया। यह विमान पूरे विश्व के लिए उस समय किसी आश्चर्य से कम नहीं था, न ही अब है।