"केवड़ा": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Kewda(Pandanus odoratissimus).jpeg|right|thumb|300px|केवड़ा]]
'''केवड़ा''' सुगंधित फूलों वाले वृक्षों की एक प्रजाति है जो अनेक देशों में पाई जाती है और घने जंगलों मे उगती है। पतले, लंबे, घने और काँटेदार पत्तों वाले इस पेड़ की दो प्रजातियाँ होती है- सफेद और पीली। सफेद जाति को केवड़ा और पीली को '''केतकी''' कहते है। केतकी बहुत सुगन्धित होती है और उसके पत्ते कोमल होते है। इसमे जनवरी और फरवरी में फूल लगते हैं। केवड़े की यह सुगंध साँपों को बहुत आकर्षित करती है। इनसे इत्र भी बनाया जाता है जिसका प्रयोग मिठाइयों और पेयों में होता है। कत्थे को केवड़े के फूल में रखकर सुगंधित बनाने के बाद पान में उसका प्रयोग किया जाता है। केवड़े के अंदर स्थित गूदे का साग भी बनाया जाता है। इसे [[संस्कृत]], [[मलयालम]] औरमें केतकी, [[तेलुगु]] मेंmain केतकीmogalipuvvu, [[हिन्दी]] और [[मराठी]] में केवड़ा, गुजराती में केवड़ों, कन्नड़ में बिलेकेदगे गुण्डीगे, तमिल में केदगें फारसी में करंज, अरबी में करंद और लैटिन में पेंडेनस ओडोरा टिसीमस कहते हैं।<ref>{{cite web |url=http://www.healthandtherapeutic.com/readarticle.php?article_id=1263
|title=केवड़ा |accessmonthday=[[१६ नवंबर]]|accessyear=[[२००९]]|format=|publisher=हेल्थ एन्ड थेरेप्यूटिक|language=}}</ref> इसके वृक्ष [[गंगा नदी]] के [[सुन्दरवन]] डेल्टा में बहुतायत से पाए जाते हैं।
आयुर्वेद की नजर से :-