निरूक्त में ही ओषधि का अर्थ उष्मा धोने वाला यानि क्लेश धोने वाला है ।
सोमलता, सौम्यता के अर्थों में बहुधा प्रयुक्त सोम शब्द के वर्णन में इसका निचोड़ा, -पीसा जाना, इसका जन्मना (या निकलना, सवन) और इंद्र द्वारा पीया जाना प्रमुख है । अलग-अलग स्थानों पर इंद्र का अर्थ आत्मा, राजा, ईश्वर, बिजली आदि है । [[श्री अरोबिन्दोअरविन्द]], [[कपाली शास्त्री]] आदि जैसे विद्वानों ने सोम का अर्थ ''श्रमजनित उल्लासआनंद'' बताया है । मध्वाचार्य परंपरा में सोम का अर्थात श्रीकृष्ण लिखा है । [[सामवेद]] के लगभग एक चौथाई मंत्र पवमान सोम के विषय में है, ''पवमान सोम'' का अर्थ हुआ - पवित्र करने वाला सोम ।