"सोम": अवतरणों में अंतर
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'''सोम'''
सनातन परंपरा में वेदों के व्याखान के लिए प्रयुक्त निरुक्त में सोम को दो अर्थों बताया गया है <ref>निरूक्त, अध्याय ११, प्रथम पाद, खंड २</ref> । पहले सोम को एक औषधि कहा गया है जो स्वादिष्ट और मदिष्ट (नंदप्रद) है, और दूसरे इसको चन्द्रमा कहा गया है । इन दोनो अर्थों को दर्शाने के लिए ये दो मंत्र हैं:
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