"राष्ट्रीय डायट": अवतरणों में अंतर

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क़ानून बनने के लिए, संवैधानिक संशोधन को संसद और सम्राट की स्विकृति की आवश्यकता थी। इसका मतलब था, भले ही सम्राट हुक्मनामों के ज़रिए क़ानून नहीं बना सकता था, पर उसके पास संसद पर वीटो का अधिकार था। सम्राट प्रधानमंत और मंत्रीमंडल की नियुक्ति भी करता था, अर्थात् प्रधानमंत्री का चयन संसद से नहीं होता था।  शाही संसद के पास बजट नियंत्रित करने की भी सीमिन क्षमता थी। संसद बजट को वीटो कर सकता था, पर किसी बजट के मंज़ूर न होने पर पिछ्ले वर्ष का बजट ही लागू रहता था। यह सब द्वितीय विश्व युद्ध के बाद नए संविधान के अंतर्गत बदल दिया गया।
 
१९८२ में पेश किया गया प्रतिनिधि सभा के लिए आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली युद्धोत्तर संविधान के अंतर्गत पहला बड़ा सुधार था। उम्मीदवारों के लिए मतदान के बजाय, मतदाता पार्टियों के लिए वोट देते हैं। पार्षदों की सूची चुनाव से पहले औपचारिक रूप से जारी किया जाता है, और कुल राष्ट्रीय वोटों के अनुसार उनका चयन होता है। <ref>Ministry of Internal Affairs and Communication. [http://www.stat.go.jp/english/data/chouki/27exp.htm Chapter 27 – Government Employees and Elections]. Published 2003. Retrieved June 8, 2007.</ref> इस प्रणाली कोका लक्ष्य था उम्मीदवारों द्वारा प्रचार में खर्च किए पैसे को घटाने के लिए।घटाना। हालाँकि आलोचक मानते हैं कि इस बदलाव से सबसे ज़्यादा फ़ायदा उदारतावादी लोकतांत्रिक पार्टी और जापानी साम्यवादी पार्टी को हुआ, जो संसद की दो सबसे बड़ी पार्टियाँ हैं। <ref>Library of Congress County Data. [http://www.country-data.com/cgi-bin/query/r-7249.html Japan – The Legislature]. Retrieved June 8, 2007.</ref><gallery widths="200" heights="160">
चित्र:The Diet.jpg|जापानी संसद का संयुक्त सत्र
चित्र:Japanese Houses of Parliament, 1905.jpg|१९०५ के संसद भवन