"कुल्लू": अवतरणों में अंतर
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कुल्लु का दशहरा पुरे देश में प्रसिद्ध है। इसकी खासियत है कि जब पूरे देश में दशहरा खत्म हो जाता है तब यहां शुरु होता है। देश के बाकी हिस्सों की तरह यहां दशहरा रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण के पुतलों का दहन करके नहीं मनाया जाता। सात दिनों तक चलने वाला यह उत्सव हिमाचल के लोगों की संस्कृति और धार्मिक आस्था का प्रतीक है। उत्सव के दौरान भगवान रघुनाथ जी की रथयात्रा निकाली जाती है। यहां के लोगों का मानना है कि करीब 1000 देवी-देवता इस अवसर पर पृथ्वी पर आकर इसमें शामिल होते हैं।
>>>आदि ब्रहमा मंदिर<<<
खोखन, कुल्लू वैली, हिमाचल
आदि ब्रम्ह मंदिर भारत के कुछ उन मंदिरों में से है जो निर्माण के हिंदू देवता ब्रम्हा को समर्पित है। यह मंदिर खोखन में स्थित है जो भुंतर से 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर लकड़ी से बना है और इसमें ब्रह्मा की मूर्ति स्थापित है जो मंदिर के मध्य में मोहरा या स्मारकीय मास्क वाले रथ के साथ रखी हुई है। ये मोहरा पीतल, चांदी और अष्टधातु, जो आठ धातु के मिश्रण से बनती है, के बने हुए हैं।
== कुल्लु के आसपास दर्शनीय स्थल ==
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