"केसरी नाथ त्रिपाठी": अवतरणों में अंतर

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पश्चिम बंगाल के महामहिम राज्यपाल ,प्रख्यात कवि एवं चिन्तक ,विचारक पंडित केशरीनाथ त्रिपाठी अपने पिता की सात संतानों में चार पुत्रियों तथा तीन पुत्रों में सबसे छोटे हैं। त्रिपाठी जी का जन्म कार्तिक शुक्ल चतुर्थी, दिन शनिवार, दिनांक 10 नवम्बर, सन् 1934 को इलाहाबाद में हुआ। घर में इन्हें “भईया”के नाम से संबोधित किया जाता है। 
 
 '''हिंदी के प्रतिष्ठित''' कवि केशरीनाथ त्रिपाठी के पूर्वज मूल निवासी ग्राम पीड़ी (पिण्डी) , तहसील सलेमपुर के थे, जो पहले गोरखपुर जनपद का अंग था तथा बाद में देवरिया जनपद का अंग हो गया। कालान्तर में वहाँ से जनपद इलाहाबाद में आकर परिवार के कुछ लोग ग्राम नीवाँ में बस गए, जो इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पश्चिम में थोड़ी दूर पर स्थित है। सन् 1850 ई. के लगभग पितामह पं. मथुरा प्रसाद त्रिपाठी, ग्राम नीवाँ से इलाहाबाद शहर चले आए। उनके पिता का नाम पं. बाल गोविन्द त्रिपाठी था। उस समय तथा उसके पश्चात् भी बहुत समय तक इलाहाबाद का सुपरिन्टेन्डेन्ट पुलिस अंग्रेज ही हुआ करता था, जिसे यहाँ की भाषा का ज्ञान बहुत कम होता था। शहर में आने पर पं. मथुरा प्रसाद त्रिपाठी, जो भी सुपरिन्टेन्डेन्ट पुलिस वहाँ नियुक्त होता था, उसे हिन्दी, संस्कृत, उर्दू तथा फारसी भाषायें पढ़ाया करते थे तथा सन् 1876 में उच्च न्यायालय के यहाँ आने पर वे उसमें कार्यरत हो गए। उच्च न्यायालय में कार्यरत रहने की अवधि में तथा वहाँ से अवकाश प्राप्ति के पश्चात् भी वे सामाजिक कार्यों में रुचि रखते थे तथा उन्होंने एक संस्कृत पाठशाला की स्थापना भी की जो स्थानीय लोहिया पाण्डेय का हाता,बहादुर गंज , इलाहाबाद में आज भी चल रहा है। उनका देहान्त सन् 1920 ई. में हो गया।
 
पं. केशरीनाथ त्रिपाठी के पिता स्वर्गीय पं. हरिश्चन्द्र त्रिपाठी जिन्हें लोग हरी महाराज के नाम से पुकारते व  उक्त नाम से जाना जाता था , इलाहाबाद उच्च न्यायालय में सन् 1913-1914 में कार्यरत हुए। वहाँ विभिन्न पदों पर कार्य करने के पश्चात् सन् 1949 में सेवा-निवृत्त हुए। अपने पिता की तरह पं. हरिश्चन्द्र त्रिपाठी जी भी सामाजिक कार्यों में लगे रहते थे। अपनी बिरादरी के अन्य सहयोगियों के साथ उन्होंने सरयूपारीण स्कूल नामक संस्था की स्थापना की जो आजकल सर्वाय इण्टर कालेज के रूप में विद्यमान है। वह अनेक वर्षों तक उसके प्रबन्धक रहे। सन् 1980 में पंडित हरिश्चन्द्र त्रिपाठी का देहान्त हो गया। आकाशधर्मा पिता पंडित हरिश्चंद्र त्रिपाठी एक धर्मनिष्ठ और विचारवान व्यक्ति थे | जैसा उनका व्यक्तित्व था वैसा उनका कर्तृत्व | कद काठी वैसी ही जैसे पंडित जी की | केशरी नाथ त्रिपाठी के जीवन पर पिता का बहुत प्रभाव है |
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इस प्रकार हम देखते हैं कि  पंडित केशरीनाथ त्रिपाठी का कृति- व्यक्तित्व बहुत विस्तृत है | उनकी भाषा ,उनकी शैली ,उनका सा आचरण ,उनका व्यवहार सबको भाता है ,इसीलिए तो वे लोकप्रिय हैं | प्रभु से प्रार्थना है कि उन्हें निरंतर स्वस्थ एवं प्रसन्न दीर्घजीवी बनाये रखें जिससे वे  साहित्य,राजनीति और समाज की निरंतर सेवा करते रहें,हम सबको उनका आशीर्वाद और प्रेरणा मिलती रहे | त्रिपाठी जी का पूरा जीवन और साहित्य हम सबका प्रेरणास्रोत है |
 
''' (लेखक डॉ.प्रकाश त्रिपाठी महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय,वर्धा के क्षेत्रीय केंद्र इलाहाबाद में सहायक क्षेत्रीय निदेशक व वचन पत्रिका के सम्पादक,बहुवचन  के पूर्व सह-सम्पादक  तथा केशरी नाथ त्रिपाठी की रचनाओं के आधिकारिक विद्वान् हैं | )'''{{Infobox Indian politician
| name = '''केसरी नाथ त्रिपाठी'''
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