"केसरी नाथ त्रिपाठी": अवतरणों में अंतर

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उत्तर प्रदेश की अनेक साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं के कार्यक्रमों में भाग लेकर उन्होंने लोगों का उत्साह वर्धन किया और अपने बहुमूल्य, प्रेरक और ओजस्वी उद्बोधन से हिन्दी प्रेमियों में नवचेतना का संचार करने में अद्वितीय सफलता अर्जित की। विभिन्न साहित्यकारों की श्रेष्ठ कृतियों का लोकार्पण कर त्रिपाठी जी ने रचनाकारों के मनोबल को ऊँचा उठाया और उन्हें नित नये सृजन के लिए प्रेरणा प्रदान की। त्रिपाठी जी ने उत्तर प्रदेश के उन रचनाकारों को उनकी पुस्तक प्रकाशन के लिए अनुदान स्वीकृत कर उन्हें अपनी रचनाओं को मुद्रित एवं प्रकाशित कराने की सुविधा उपलब्ध कराई जो असहाय और आर्थिक रूप से कमजोर हैं । साहित्यकार कल्याण कोष से धनराशि स्वीकृत कर उन्होंने उनकी सहायता कर पुनीत कार्य तो किया ही अपने कर्तव्य एवं दायित्व का निर्वहन निष्ठापूर्वक किया। साहित्यिक समारोहों के आयोजन में सम्मिलित होकर उन्होंने अपनी सम्मोहक वाणी से श्रोताओं को प्रभावित किया तथा अपने हिन्दी प्रेम का प्रमाण प्रस्तुत किया। उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा आयोजित समारोहों में तो उनका मार्गदर्शन एवं प्रदर्शन उल्लेखनीय है ही अन्य साहित्यिक, सांस्कृतिक संस्थाओं द्वारा आयोजित समारोहों को संबोधित कर अपना आशीर्वाद प्रदान किया जिससे हिन्दी की प्रगति की गति को तीव्रता प्राप्त हुई।
एक वर्ष का अनिवार्य प्रशिक्षण लेने के उपरान्त सन् 1956 में उनका पंजीयन इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अधिवक्ता के रूप में हुआ।  तभी से त्रिपाठी जी ने वकालत करनी आरम्भ की। एक वर्ष की ट्रेनिंग उन्होंने बाबू जगदीश स्वरूप, एडवोकेट से ली। जनपद इलाहाबाद की कार्य पद्धति का ज्ञान उन्होंने अपने बड़े भाई श्री काशीनाथ त्रिपाठी से प्राप्त किया। उच्च न्यायालय में वे अनेक वर्षों तक श्री जगदीश स्वरूप के जूनियर थे। केशरीनाथ त्रिपाठी आरम्भ से ही कुशाग्र बुद्धि के थे तथा थोड़े ही समय में उन्होंने हाईकोर्ट में उच्च श्रेणी के अधिवक्ताओं में अपनी पहचान बनी ली। वर्ष 1965 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एशोसिएसन के पुस्तकालय सचिव तथा वर्ष 1987-88 एवं1988-89 में इसके अध्यक्ष निर्वाचित हुए। वर्ष 1980 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में न्यायाधीश का पद स्वीकार करने का प्रस्ताव आया जिसे त्रिपाठी जी ने अस्वीकार कर दिया।वर्ष 1989 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा केशरीनाथ त्रिपाठी को वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नाम निर्दिष्ट किया। त्रिपाठी जी चुनाव के मामलों में विशेषज्ञ माने जाते हैं। उन्होंने उक्त विषय पर एक पुस्तक भी लिखी है। वर्ष 1992-93 में माननीय अध्यक्ष लोकसभा द्वारा नियुक्त विधायिका, न्यायपालिका सौहार्दपूर्ण सम्बन्ध रखने वाली  समिति का सदस्य नामित किया। त्रिपाठी जी को सिविल, सविंधान तथा चुनाव विधि की विशेषज्ञता भी हासिल है।
 
एक वर्ष का अनिवार्य प्रशिक्षण लेने के उपरान्त सन् 1956 में उनका पंजीयन इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अधिवक्ता के रूप में हुआ।  तभी से त्रिपाठी जी ने वकालत करनी आरम्भ की। एक वर्ष की ट्रेनिंग उन्होंने बाबू जगदीश स्वरूप, एडवोकेट से ली। जनपद इलाहाबाद की कार्य पद्धति का ज्ञान उन्होंने अपने बड़े भाई श्री काशीनाथ त्रिपाठी से प्राप्त किया। उच्च न्यायालय में वे अनेक वर्षों तक श्री जगदीश स्वरूप के जूनियर थे। केशरीनाथ त्रिपाठी आरम्भ से ही कुशाग्र बुद्धि के थे तथा थोड़े ही समय में उन्होंने हाईकोर्ट में उच्च श्रेणी के अधिवक्ताओं में अपनी पहचान बनी ली। वर्ष 1965 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एशोसिएसन के पुस्तकालय सचिव तथा वर्ष 1987-88 एवं1988-89 में इसके अध्यक्ष निर्वाचित हुए। वर्ष 1980 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में न्यायाधीश का पद स्वीकार करने का प्रस्ताव आया जिसे त्रिपाठी जी ने अस्वीकार कर दिया।वर्ष 1989 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा केशरीनाथ त्रिपाठी को वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नाम निर्दिष्ट किया। त्रिपाठी जी चुनाव के मामलों में विशेषज्ञ माने जाते हैं। उन्होंने उक्त विषय पर एक पुस्तक भी लिखी है। वर्ष 1992-93 में माननीय अध्यक्ष लोकसभा द्वारा नियुक्त विधायिका, न्यायपालिका सौहार्दपूर्ण सम्बन्ध रखने वाली  समिति का सदस्य नामित किया। त्रिपाठी जी को सिविल, सविंधान तथा चुनाव विधि की विशेषज्ञता भी हासिल है।
 
केशरीनाथ त्रिपाठी का राजनीतिक जीवन बहुत ही संघर्षपूर्ण रहा है। उनका रुझान आरम्भ से ही अपने राष्ट्र, धर्म, संस्कृति और सभ्यता के प्रति रहा है। अतः स्वाभाविक है कि वह सन 1946 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक बने। तत्पश्चात 1952 में जनसंघ की स्थापना काल से सदस्य के रूप में जुड़े रहे। सन 1953 में जनसंघ द्वारा चलाए गये कश्मीर आन्दोलन में त्रिपाठी जी ने सक्रिय रूप से भाग लिया और इसी सिलसिले में वे केन्द्रीय कारागार नैनी, इलाहाबाद में राजनैतिक कैदी के रूप में बंद भी रहे।
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मंत्री पद छोड़ने के बाद उन्होंने पुनः हाईकोर्ट में वकालत प्रारम्भ की। पंडित केशरीनाथ त्रिपाठी भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर वर्ष 1989, 1991, 1993, 1996 तथा 2002 में   शहर दक्षिणी विधानसभा, इलाहाबाद से उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य चुने गये।कुल मिलाकर छह बार विधान सभा के सदस्य रहे | 30 जुलाई 1991 से 15 दिसंबर 1993 तक, 27 मार्च 1997 से मार्च 2002 तक तथा मार्च 2002 से 19 मई 2004 तक केशरीनाथ त्रिपाठी उत्तर प्रदेश विधानसभा के तीन बार अध्यक्ष भी रहे। विधानसभा अध्यक्ष के दौरान त्रिपाठी जी ने अनेकों देश की यात्राएं भी की। अध्यक्ष के रूप में उन्होंने कुशलतापूर्वक विधान सभा का संचालन किया तथा अनेक कठिन परिस्थितियों में उन्हें निर्णय लेने पड़े। केशरीनाथ त्रिपाठी  विधान सभा के अध्यक्ष के रूप में कामनवेल्थ पार्लियामेंट्री एसोसिएशन की उत्तर प्रदेश शाखा के अध्यक्ष भी रहे। इसी के साथ त्रिपाठी ने अनेक राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में सक्रिय भागीदारी भी की। केशरीनाथ त्रिपाठी की कार्य कुशलता को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने 14 जुलाई सन 2014 को पश्चिम बंगाल का बीसवां राज्यपाल नियुक्त किया। तत्पश्चात त्रिपाठी जी को 27 नवम्बर 2014 को बिहार, 06 जनवरी 2015 को मेघालय व बाद में मिजोरम व त्रिपुरा तथा पुनः बिहार के राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार भी सौंपा गया। त्रिपाठी जी के मार्गदर्शन में पश्चिम बंगाल और बिहार निरंतर प्रगति कर कर रहा है |
 
केशरीनाथकेशरी नाथ त्रिपाठी को अबतकअब तक अनेकों पुरस्कारों एवं सम्मानों से सम्मानित किया जा चुका है। इन्हें भारत गौरव सम्मान, विश्व भारती सम्मान, उत्तर प्रदेश रत्न सम्मान, हिंदी गरिमा सम्मान, आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी सम्मान, साहित्य वाचस्पति सम्मान, अभिषेकश्री सम्मान, बागीश्वरी सम्मान, चाणक्य सम्मान (कनाडा में) , काव्य कौस्तुभ सम्मान आदि अनेक सम्मानों से विभूषित किया गया है।
 
     अपने उत्कृष्ट काव्य कृतियों के सृजन के माध्यम से श्री केशरीनाथ त्रिपाठी ने हिन्दी भाषा एवं साहित्य की अभिनन्दनीय एवं वन्दनीय सेवा की है। केशरीनाथकेशरी नाथ त्रिपाठी के अब तक सात  कविता संग्रह तथा एक दोहा संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। उनके प्रमुख प्रकाशित काव्य संग्रहों में ‘मनोनुकृति’, ‘आयु पंख’, ‘चिरंतन’, ‘उन्मुक्त’ ,‘मौन और शून्य’, ज़ख्मों पर सबाब , 'ख़यालों का सफ़र' हैं। एक दोहा संग्रह जो ‘निर्मल दोहे’के नाम से प्रसिद्ध है। २०१५ में सभी काव्य संग्रहों को मिला कर डॉ. प्रकाश त्रिपाठी के सम्पादन में ‘संचयिता : केशरीनाथ त्रिपाठी’ का प्रकाशन हुआ है। त्रिपाठी के भाषणों की एक पुस्तक ‘समय-समय पर’ इलाहाबाद से प्रकाशित हुई है। बाद में द इमिजेज (मनोनुकृति का अंग्रेजी में अनुवाद ) , तथा मनोनुकृति काव्य संग्रह पर आलोचनात्मक कृति मनोनुकृति : रचना और आलोचना (स.प्रकाश त्रिपाठी ) पुस्तकें प्रकाशित हुईं |
 
‘मनोनुकृति’ केशरीनाथ त्रिपाठी का पहला लोकप्रिय काव्य संग्रह है। इस काव्य संग्रह का प्रकाशन सन 1999 में हुआ। इसका प्रकाशन शान्ति प्रकाशन 84/1 पुराना बैरहना, इलाहाबाद द्वारा किया गया। इसमें कुल 53 कविताएं संग्रहीत हैं। मनोनुकृति की भूमिका में कवि श्री केशरीनाथ त्रिपाठी जी कहते है कि-“ 'मनोनुकृति आपके सामने है। सामान्य बोलचाल की भाषा में शब्दों का अर्पण। जैसे मनुष्य की आत्मा होती है वैसे कहीं कविता की। यह कभी एक शब्द में प्रकट होती है, कभी पंक्ति में। मेरी रचनाओं में कही आत्मा की ध्वनि गुंजित हो तो मैं उसे सार्थक मानूंगा।“ इसी प्रकार प्रख्यात आलोचक डॉ. जगदीश गुप्त ने पुस्तक के बारे में लिखा है कि – मनोनुकृति के विषय में कवि के रूप में श्री केशरीनाथ त्रिपाठी ने अपने विकासक्रम को लक्षित किया है। भाषा के सन्दर्भ में त्रिपाठी जी की सजगता सराहनीय है। उनकी कविताओं को ध्यानपूर्वक पढ़ने पर अनेक कवितांश और अनेक पंक्तियाँ स्मरणीय सिद्ध हुई हैं। उनका व्यापक जीवनानुभव छोटी और बड़ी दोनों प्रकार की कविताओं में समाहित दिखाई देता है। मनोनुकृति शब्द मुझे असाधारण लगा किन्तु कवि की पहचान के रूप में मुझे स्वीकार्य है। मन से ऊपर उठकर अनुकृति का वृहत्तर रूप उनके काव्यानुभव को अधिक गरिमा प्रदान करे, यही मेरी आकांक्षा है। इस प्रकार विभिन्न प्रकार की विशेषताओं को समेटे हुए केशरीनाथ त्रिपाठी की कविताएं रविन्द्रनाथ टैगोर से आगे और अलग प्रतीत होती हैं।
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त्रिपाठी जी का पांचवां काव्य संग्रह'मौन और शून्य'है। इस संग्रह का प्रकाशन सन 2011में हुआ। इसमें कुल 53 कविताएं संकलित है। ये कविताएं उनके विचारों के विभिन्न पड़ाव हैं। जिस समय जो समझा कवि ने लिख दिया। त्रिपाठी जी लिखते हैं कि- “मैं कवि नहीं हूँ। कविता लिखने के लिए नियमित बैठता भी नहीं। जब कभी मन में किसी बात को सुनकर या कुछ देखकर कोई प्रतिक्रिया हुई, या कोई भाव आया तो उसे उतार लेता हूँ।” इस प्रकार कवि अपने अनंत विचारों में चिंतन मनन करते हुए समादृत हो जाता है। मौन और शून्य में संगृहीत रचनाएँ त्रिपाठी जी ने बहुत बाद में लिखीं हैं। इससे उनके कविताओं के विकासक्रम को समझा जा सकता है।
 
      केशरीनाथ त्रिपाठी का छठा काव्य संग्रह ‘जख्मों पर सबाब’ पुस्तक हिंदी से  राजस्थानी तथा उर्दू में अनुदित पहला प्रकाशित काव्य-संग्रह है | इस संग्रह का हिंदी से राजस्थानी में डॉ.जेबा रशीद ने तथा हिंदी से उर्दू में डॉ. जरीना जरीन  ने किया है | हिंदी से उर्दू में अनुदित काव्य-संग्रह में 140 कवितायें संग्रहीत हैं | संग्रह का प्रकाशन भारती परिषद् ,प्रयाग ने किया है | जबकि हिंदी से राजस्थानी में अनुदित कविता संग्रह 139 कवितायें हैं |इस संग्रह का प्रकाशन अनामिका प्रकाशन ,इलाहाबाद ने किया है |
 
 ‘ख़यालों का सफ़र’ केशरीनाथ त्रिपाठी का उर्दू में प्रकाशित पहला  ग़जल  संग्रह है | उक्त संग्रह का अनुवाद राजस्थानी भाषा में डॉ.जेबा रशीद ने किया है | इस संग्रह में छोटी – बड़ी कुल 92 गजलें संग्रहीत हैं | पुस्तक का प्रकाशन सन 2017 में वचन पब्लिकेशन्स इलाहाबाद ने किया है | गजलों  में त्रिपाठी जी के जीवनानुभव तो हैं ही उसमें जीवन जीने की कला भी समाहित है  | संग्रह में लगभग सभी गजलें गीतात्मकता से परिपूर्ण हैं |
     केशरीनाथ त्रिपाठी केवल कवि ही नहीं हैं अपितु उन्होंने  समय समय पर महत्वपूर्ण दोहे भी लिखे हैं। उनका पहला दोहा संग्रह है जो 'निर्मल दोहे'के नाम से प्रकाशित है | पुस्तक में  कुल 186 दोहे संग्रहीत हैं। इसका प्रकाशन सन 2006 में हुआ। ये दोहे जीवन के विभिन्न क्षेत्रों पर लिखे गये हैं। जैसे कि– आचरण-व्यवहार (25) , अहंकार (10) , इच्छा (5) , कर्म (5) , क्रोध (5) , करुणा (5) , जीवन, ईश्वर (10) झूठ (5) , दुःख, पीड़ा (15) , धर्म (5) , प्रेम (10) , सत्य-असत्य (27) , सद्कर्म (5) , क्षमा (5) , ज्ञान-अज्ञान (7) , ऋण (5) तथा विविध (27) दोहे आदि।
 
     केशरीनाथ त्रिपाठी केवल कवि ही नहीं हैं अपितु उन्होंने  समय समय पर महत्वपूर्ण दोहे भी लिखे हैं। उनका पहला दोहा संग्रह है जो 'निर्मल दोहे'के नाम से प्रकाशित है | पुस्तक में  कुल 186 दोहे संग्रहीत हैं। इसका प्रकाशन सन 2006 में हुआ। ये दोहे जीवन के विभिन्न क्षेत्रों पर लिखे गये हैं। जैसे कि– आचरण-व्यवहार (25) , अहंकार (10) , इच्छा (5) , कर्म (5) , क्रोध (5) , करुणा (5) , जीवन, ईश्वर (10) झूठ (5) , दुःख, पीड़ा (15) , धर्म (5) , प्रेम (10) , सत्य-असत्य (27) , सद्कर्म (5) , क्षमा (5) , ज्ञान-अज्ञान (7) , ऋण (5) तथा विविध (27) दोहे आदि।
 
केशरीनाथ त्रिपाठी की लगभग सम्पूर्ण कविताओं को एक जगह संकलित कर संपादित करने का श्रेय डॉ.प्रकाश त्रिपाठी को है | पुस्तक का नाम  है  ‘संचयिता :  केशरीनाथ त्रिपाठी’ | इसका प्रकाशन वचन पब्लिकेशन्स, इलाहाबाद द्वारा सन 2015 में किया गया। इस पुस्तक में आलोचना सहित त्रिपाठी जी के पांच  कविता संग्रहों एवं एक दोहा संग्रह का संकलन है । संकलन मैं कुल 254 कविताएं, 40 क्षणिकाएं, एवं 186 दोहे संकलित हैं। सम्पादक ने त्रिपाठी जी की रचनाओं को कवि रवीन्द्र नाथ टैगोर से अलग और आगे बताया है |  इसी प्रकार  'समय-समय पर' पुस्तक केशरीनाथ त्रिपाठी के दिए हुए भाषणों का विचार संग्रह है। इसमें कुल चौदह अध्याय हैं जिनमे त्रिपाठी जी द्वारा समय-समय पर दिए गये भाषण हैं। इसका प्रकाशन किताब महल, इलाहाबाद द्वारा सन 2015 में किया गया। सम्पादन डा. यास्मीन सुल्ताना नकवी ने किया है | 
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इस प्रकार हम देखते हैं कि  पंडित केशरीनाथ त्रिपाठी का कृति- व्यक्तित्व बहुत विस्तृत है | उनकी भाषा ,उनकी शैली ,उनका सा आचरण ,उनका व्यवहार सबको भाता है ,इसीलिए तो वे लोकप्रिय हैं | प्रभु से प्रार्थना है कि उन्हें निरंतर स्वस्थ एवं प्रसन्न दीर्घजीवी बनाये रखें जिससे वे  साहित्य,राजनीति और समाज की निरंतर सेवा करते रहें,हम सबको उनका आशीर्वाद और प्रेरणा मिलती रहे | त्रिपाठी जी का पूरा जीवन और साहित्य हम सबका प्रेरणास्रोत है |
 
 (लेखक डॉ.प्रकाश त्रिपाठी महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय,वर्धा के क्षेत्रीय केंद्र इलाहाबाद में सहायक क्षेत्रीय निदेशक व वचन पत्रिका के सम्पादक,बहुवचन  के पूर्व सह-सम्पादक  तथा केशरी नाथ त्रिपाठी की जीवनी एवं रचनाओं के आधिकारिक विद्वान् हैं |संपर्क :7278114912)
| name = '''केशरी नाथ त्रिपाठी'''
| image = Keshari Nath Tripathi - Kolkata 2016-07-01 5591.JPG
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| केशरी नाथ त्रिपाठी
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'''केशरीनाथ त्रिपाठी का जन्म उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में 10 नवम्बर दिन शनिवार तिथि चतुर्थी सन 1934 को हुआ था।वर्तमान में वे [[पश्चिम बंगाल]] के [[राज्यपाल]] हैं |''' यह पद उन्होंने १४ जुलाई २०१४ को ग्रहण किया था।<ref>http://www.prabhatkhabar.com/news/131347-Bengal-Governor-swearing-Mamata-Banerjee.html</ref> उत्तर प्रदेश के तीनबार विधानसभाध्यक्ष और पांच बार विधायक रहे केशरीनाथ त्रिपाठी बंगाल के २० वें राज्यपाल बने हैं।<ref>http://www.samaylive.com/nation-news-in-hindi/275804/kesrinath-tripathi-oath-as-20th-governor-of-west-bengal.html</ref><ref>[http://www.jantajanardan.com/NewsDetails/31328/hindi:-present-and-future:-interview-of-keshari-nath-tripathi-with-shyam-nandan.htm 'हिन्दी भाषा: वर्तमान स्थिति एवं भविष्य': साक्षात्कार- केशरी नाथ त्रिपाठी]</ref>
 
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[[श्रेणी:1934 में जन्मे लोग]]
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