"जनक": अवतरणों में अंतर

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सीरध्वज की दो कन्याएँ [[सीता]] तथा [[उर्मिला]] हुईं जिनका [[विवाह]], [[राम]] तथा [[लक्ष्मण]] से हुआ। [[कुशध्वज]] की कन्याएँ [[मांडवी]] तथा [[श्रुतिकीर्ति]] हुईं जिनके व्याह [[भरत]] तथा [[शत्रुघ्न]] से हुए। [[श्रीमद्भागवत]] में दी हुई जनकवंश की सूची कुछ भिन्न है, परंतु सीरध्वज के [[योग|योगिराज]] होने में सभी ग्रंथ एकमत हैं। इनके अन्य नाम 'विदेह' अथवा 'वैदेह' तथा 'मिथिलेश' आदि हैं। मिथिला राज्य तथा नगरी इनके पूर्वज निमि के नाम पर प्रसिद्ध हुए।
 
==संस्कृत नाटक==
विदेहराज जनक का उल्लेख संस्कृत के निम्नलिखित नाटक में मिलता हैः
* भास के यज्ञफल मे जहाँ जनक यज्ञ के अंत मे राम से विवाह करती हैं , यही जनक कहते हैं की मुझे मेरे यज्ञ का फल मिल गया।
* भवभूति के महावीरचरित मे जनक और उनके छोटे भाई कुशध्वज का उल्लेख हैं जो सांकश्या के राजा थे।
* भवभूति के उत्तररामचरित मे सीता त्याग के पश्चात जनक अपने मित्र वाल्मीकि से मिलने उनके आश्रम जाते हैं वहाँ कौशल्या से मिलने पर वह जनक राम की टीका करते हैं। जनक लव से मिलते है किंतु जनक यह नहीं जानते की वो सीता का पुत्र हैं।
* मुरारि के अनर्धराघव मे रावण का दूत शौष्कल जनक से सीता के विवाह की बात करने आता है किंतु राम के धनुष-भंग करने पर जनक उनका विवाह राम से करा देते हैं।
* राजशेखर के बाल-रामायण मे भी जनक सीता और उर्मिला का विवाह राम-लक्ष्मण करवाते हैं।
* हनुमान नाटक या महानाटक मे भी जनक का उल्लेख प्राप्त है।
* रामचन्द्र सूरि के नाटक रघुविलास के अंतिम अंक मे रावण वघ पश्चात माल्यवान के कहने पर सेवक सर्पमुख '''माया-जनक''' बनकर राम की हार का संदेश देता है किंतु तभी हनुमान आकर उनसे राम-विजय का संदेश देता है।
* रामचन्द्र सूरि के अप्राप्त नाटक राघवाभ्युदय मे जनक मतिसागर मुनि से राक्षसों उपद्रव की बात करते प्रस्तुत किया गया है।
* जयदेव के प्रसन्नराघव नाटक मे जनक को संदेह था कि राम धनुष-भंग नही कर सकेंगे पर राम सफल रहते हैं।
* हस्तिमल्ल के नाटक मैथिलीकल्याण मे भी सीता-स्वयंवर अंतर्गत जनक का उल्लेख हैं।
* रामविक्रम नामक अप्राप्य नाटक मे बटु जनक को
बताता हैं की कैसे राम और राक्षसों के लडाई हुए थीं।
* सोमेश्वर के उल्लाघराघव मे भी जनक का उल्लेख है जो सीता की विदाई से दुःखी हैं इसलिए वे यज्ञशाला के अग्नि को कहते हैं कि वैश्वानर मेरी पुत्री की रक्षा करना।
* रामभद्र दीक्षित के जानकीपरिणय नाटक मे रावण राम बनकर जनक से सीता का हाथ मागता है तभी वहाँ असली राम भी आते हैं और असली राम के धनुष-भंग करने पर जनक उनका विवाह राम से करा देते हैं। इस नाटक मे रावण और जनक को मित्र बताया गया है।
 
==इन्हें भी देखें==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/जनक" से प्राप्त