"सिद्धान्त ज्योतिष": अवतरणों में अंतर
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== स्थितिद्योतक ज्योतिष ==
इसके द्वारा किसी भी खगोलीय पिंड की भूमिस्थित द्रष्टा के सापेक्ष स्थिति को ज्ञात किया जाता है। इसके लिये हम एक भूकेंद्रिक स्थिर खगोल की कल्पना करते हैं। पृथ्वी के अक्ष को यदि अपनी दिशा में बढ़ा दिया जाय तो वह जहाँ पर खगोल में लगेगा उसे खगोलीय ध्रुव कहेंगे। खगोल के उस वृत्त को, जो खगोलीय ध्रुव तथा शिरोबिंदु से होकर जायगा, याम्योत्तर वृत्त कहेंगे। यदि शिरोबिंदु से याम्योत्तर वृत्त के 90o के चाप दोनों ओर काट लें तो उन बिंदुओं से जानेवाले खगोल के वृत्त को खगोलीय क्षितिजवृत्त तथा याम्योत्तर वृत्त के उस संपात बिंदु को, जो खगोलीय ध्रुव की ओर है, उत्तरबिंदु तथा दूसरी ओर के संपातबिंदु को दक्षिणबिंदु कहेंगे। यदि खगोलीय ध्रुव से याम्योत्तर के दोनों ओर 90o को चाप काटकर उनसे किसी खगोलीय वृत्त को खींचें, तो उसे खगोलीय विषुवद्वृत्त कहते हैं। सूर्य की दृश्य कक्षा अथवा पृथ्वी की वास्तविक कक्षा को क्रांतिवृत्त कहते हैं। क्रांतिवृत्त तथा खगोलीय विषुवद् वृत्त से 23o 28' का कोण बनाता है। क्रांतिवृत्त तथा खगोलीय विषुवद्वृत्त के संपात को विषुवबिंदु कहते हैं। जिस विषुवबिंदु पर सूर्य लगभग 21 मार्च को दिखाई पड़ता है। उसे वसंतविषुव कहते हैं। किसी भी खगोलीय पिंड की स्थिति उसके निर्देशांकों से ज्ञात हेती है। निर्देशांकों के लिये एक मूल बिंदु, खगोल का वह बृहदवृत्त जिसपर वह बिंदु है, बृहद्वृत्त का ध्रुव, तथा निर्देशांक की धन, ऋण दिशाओं का ज्ञान आवश्यक है। मान लें, हमें किसी तारे के नियामक ज्ञात करने हैं। यदि याम्योत्तरवृत्त तथा खगोलीय विषुवद्वृत्त के ऊपर अभीष्ट तारागामी एक समकोणवृत्त (ध्रुवप्रोत वृत्त) खींचे, तो इस वृत्त पर याम्योत्तर तथा विषुवद्वृत्त के सपात से पश्चिम की ओर धन दिशा मानने पर जितना चाप का अंश होगा वह उसका होरा कोण (Hour angle) तथा समकोण वृत्त के मूल से अभीष्ट तारा तक समकोणीय वृत्त (ध्रुवप्रोत वृत्त) के चाप को क्रांति कहेंगे। क्रांति यदि खगोलीय ध्रुव की ओर है तो, धन अन्यथा ऋण, होगी। यदि बसंतविषुव को मूलबिंदु मानें और खगोलीय ध्रुव से विषुवद्वृत्त पर समकोण वृत्त खींचें तो विषुवबिंदु से समकोणवृत्त के मूल तक, घड़ी की सूई की उल्टी दिशा में, जितने चाप के अंश होंगे उन्हें विषुवांश कहेंगे। विषुवांश तथा क्रांति के द्वारा भी खगोलीय पिंड की स्थिति का ज्ञान होता है। यह निर्देशांक पद्धति बहुत महत्वपूर्ण है। यदि शिरोबिंदु से इष्ट खगोलीय पिंड पर समकोण वृत्त खींचे तो उत्तरबिंदु से घड़ी की सूई की दिशा में खगोलीय क्षितिज वृत्त तथा समकोणवृत्त के संपात की दूरी (चापीय अंशों में)
== गतिशास्त्रीय ज्योतिष ==
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