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'''दक्ष प्रजापति''' को अन्य प्रजापतियों के समान [[ब्रह्मा]] जी ने अपने मानस पुत्र के रूप में रचा था। दक्ष प्रजापति का विवाह [[स्वयंभुवस्वायम्भूव मनु|स्वायम्भुव मनु]] की तृतीय कन्या [[प्रसूति]] के साथ हुआ था।
 
== संतान तथा उनके विवाह ==
 
== संतान ==
[[ब्रह्मा]]जी के पुत्र दक्ष प्रजापति का विवाह [[स्वायम्भूव मनु|स्वायम्भुव मनु]] की पुत्री [[प्रसूति]] से हुआ था।<ref> श्रीमद्भागवतमहापुराण (सटीक), गीताप्रेस गोरखपुर, 4-1-47.</ref> प्रसूति ने सोलह कन्याओं को जन्म दिया जिनमें से स्वाहा नामक एक कन्या का [[अग्नि देव]] के साथ<ref>श्रीमद्भागवतमहापुराण, पूर्ववत्-4-1-60.</ref>, स्वधा नामक एक कन्या का पितृगण के साथ<ref>श्रीमद्भागवतमहापुराण, पूर्ववत्-4-1-63.</ref>, [[सती]] नामक एक कन्या का भगवान शंकर के साथ<ref>श्रीमद्भागवतमहापुराण, पूर्ववत्-4-1-65.</ref> और शेष तेरह कन्याओं का [[धर्म]] के साथ विवाह हुआ। धर्म की पत्नियों के नाम थे- श्रद्धा, मैत्री, दया, शान्ति, तुष्टि, पुष्टि, क्रिया, उन्नति, बुद्धि, मेधा, तितिक्षा, ह्री और मूर्ति।<ref>श्रीमद्भागवतमहापुराण, पूर्ववत्-4-1-49.</ref>