"रघुविलास": अवतरणों में अंतर
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==लेखक==
रघुविलास नाटक के रचयिता [[जैन धर्म|जैन]] नाट्यकार रामचन्द्र सूरि थे। वे आचार्य [[हेमचन्द्राचार्य|हेमचंद्र]] के शिष्य थे। रामचन्द्र सूरि का समय संवत ११४५ से १२३० का है। उन्होंने संस्कृत
==कथासार==
'''प्रथम अंक''' - [[सूत्रधार]] और चन्द्रक रघुविलास की घोषणा करते
'''द्वितीय अंक''' - तापस , वैनतेय और प्रभंजन बातचीत करते है कि [[लक्ष्मण]] ने शम्बूक को मार डाला और उस की माता [[शूर्पणखा|चन्द्रनखा]] राम का शीलभंग करने आती है किंतु राम-लक्ष्मण उसे भगा देते हैं। तभी [[पुष्पक विमान|पुष्पक]] विमान पर [[रावण]] [[प्रहस्त]] के साथ प्रवेश करता है जो सीता को देखता है और [[सीता]] के अपहरण कि योजना बनाता है। रावण प्रहस्त [[दण्डक वन|दण्डकवन]] के नागरिक बनकर राम से मिलते
'''तृतीय अंक''' - वैनतेय को तालजंघ से खबर मिली कि राम ने खर दूषण को मार डाला। तभी राम-लक्ष्मण खाली पर्णकुटी देखते है। [[जटायु]] उन्हें रावण के बारे
'''चतृर्थ अंक''' - रावण , कुंतलक और कलकण्ठ लंका दहन पर बात कर रहे थे। रावण सीता से मिलता है और कहेता है कि [[कुम्भकर्ण|कुंभकर्ण]] ने राम को मारकर लक्ष्मण बंदी बना दिया
'''पंचम अंक''' - [[विभीषण]] , [[मारीच]] और कुंद रावण से सीता को छोड़ देने को कहते है लेकिन क्रोधित रावण विभीषण को निकाल देता है। प्रहस्त रावण को बताता है कि विभीषण राम के पक्ष में जा चुका है। तभी [[बालि|वाली]] का पुत्र चन्द्रराशि रामदूत बनकर रावण से मिलता है। तभी [[हनुमान]] के पिता पवनंजय रावण की सेवा को प्रस्तुत होता है। रावण पवनंजय को कहता है कि कुंभकर्ण की मदद से [[किष्किन्धा]] ग्रहण करे। चन्द्रराशि को इससे आश्चर्य होता है तभी सीता रावण की सेवा
'''षष्ठ अंक''' - विभीषण चन्द्रराशि से कहता है कि पवनंजय और सीता रावण की माया थीं। तभी गोमुख [[जाम्बवन्त|जाम्बवान]] को बताता है कि लक्ष्मण को रावण की शक्ति लगी है। राम बहुत विलाप करते है तभी सीता का भाई भामंडल अपने साथ प्रतिचन्द्र को लाता है। प्रतिचन्द्र ने उपाय दिया की [[कैकेयी]] के भाई र्द्रोणघन की पुत्री विशल्या के स्नान जल से लक्ष्मण ठीक हो सकता है। इस प्रकार लक्ष्मण ठीक होता है।
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'''सप्तम अंक''' - [[मयासुर|मय]] , [[मारीच]] और [[मन्दोदरी|मंदोदरी]] रावण को समझाने का प्रयत्न करते है किंतु वे असफल रहे।
'''अष्टम अंक''' - राम रावण का युद्ध होता है कि तभी आकाशवाणी होती है कि सीता की रक्षा करो। तभी [[त्रिजटा]] रावण को कहती है कि देवताओं न सीता कहा कि राम मारे गए
==परिवर्तन==
* कैकेयी राम को सोलह वर्ष का वनवास देती है जबकि वाल्मीकि रामायण
* यहाँ पर लक्ष्मण शंबूक को मारते है वो चन्द्रनखा का पुत्र था यह कथा वाल्मीकि रामायण की न होकर जैन रामायण की है।
* चन्द्रनखा वास्तव
* रावण का विराघ बनकर राम से मिलना काल्पनिक है।
* रावण द्रारा अवलोकनी शक्ति का प्रयोग जैन रामायण पर आधारित है।
* वाल्मीकि रामायण
* वाल्मीकि रामायण में वाली सुग्रीव से राज्य छिनता है पर यहाँ नकली सुग्रीव असली सुग्रीव से राज्य छिनता
* चतुर्थ और पंचम अंक
* वाल्मीकि रामायण में वाली के पुत्र का नाम अगंद है पर यहाँ उसका नाम चन्द्रराशि है।
* वाल्मीकि रामायण
* यहाँ सीता का भाई भामंडल है जो जैन रामायण पर आधारित है।
* अष्टम अंक
* वाल्मीकि रामायण
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