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=== हनुमान ढाेका (हनुमद् द्वार) ===
देगूताले मंदिर और तालेतू मंदिर के बीच एक खुली जगह है जिसे हनुमान ढाेका कहा जाता है। इसका नाम हनुमान् जी के नाम पर रखा गया था जो महल मल्ल राजा अपना इष्ट देव मानते थे। 1672 में प्रताप मल्ल के शासक काल के दौरान हनुमान् जी की प्रतिमा द्वार के सामने लगाई गई थी ताकि बुरी आत्माएं और बीमारियां प्रवेश न कर सकें। सैकड़ों साल बाद भी यह प्रतिमा अपने रूप का प्रभाव कायम रखे हुए है।हैं।
 
=== जगन्नाथ मंदिर ===