"शान्ति": अवतरणों में अंतर
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शान्ति का विवाह अथर्वण ऋषि के साथ हुआ था
शांति मधुरता और भाईचारे की अवस्था है, जिसमें बैर अनुपस्थित होता है। इस शब्द का प्रयोग अन्तर्राष्ट्रीय संदर्भ में युद्धविराम या संघर्ष में ठहराव के लिए किया जाता है। इस अर्थ में यह शब्द युद्ध का विलोम है।
अगर देखा जाए तो शांति के बिना जीवन का आधार नही है हजारों सालों से भारत विश्व का गुरु और शांतिदूत रहा था लेकिन मानव की स्वार्थसिद्धी के कारण भारत में शांति का पतन होता आया और आज आम आदमी के जीवन में भय व्याप्त हो गया है, इसका मूल कारण स्वार्थ, कायरता, अविश्वास और ईश्वर प्रदत प्रेमभाव का आम जन में समाप्त होना
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